वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ: पीएम मोदी ने लोकसभा में साझा की ऐतिहासिक बातें
विशेष चर्चा की शुरुआत
नई दिल्ली: वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर सोमवार को लोकसभा में एक विशेष चर्चा का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि 'जब अंग्रेज भारत को विभाजित करने का प्रयास कर रहे थे, तब वंदे मातरम् ने उन्हें रोक रखा था।' इस विषय पर लोकसभा में 10 घंटे की चर्चा निर्धारित की गई है। मंगलवार को राज्यसभा में भी राष्ट्रगीत पर चर्चा होगी, जिसकी शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे।
अंग्रेजों की विभाजन नीति
पीएम मोदी ने अपने भाषण में बताया कि अंग्रेजों ने भारत की एकता को कमजोर करने के लिए सबसे पहले बंगाल को निशाना बनाया। 1857 के बाद उन्हें यह समझ में आ गया था कि भारत में लंबे समय तक शासन करना कठिन होगा, इसलिए उन्होंने 'बांटो और राज करो' की नीति अपनाई और बंगाल को अपनी प्रयोगशाला बना दिया।
बंगाल का विभाजन
प्रधानमंत्री ने कहा कि अंग्रेजों का मानना था कि भारत को बांटने के बिना वे यहां शासन नहीं कर सकते। उन्होंने बंगाल को इसलिए चुना क्योंकि वह उस समय देश की सांस्कृतिक और बौद्धिक शक्ति का केंद्र था। उन्होंने 1905 में बंगाल के विभाजन को अंग्रेजों का एक बड़ा पाप बताया।
वंदे मातरम् की भूमिका
पीएम मोदी ने कहा कि जब अंग्रेजों ने 1905 में बंगाल का विभाजन किया, तब वंदे मातरम् एक मजबूत आवाज बनकर उभरा। यह नारा पूरे देश में गूंजने लगा और स्वदेशी आंदोलन को प्रेरित किया। यह गीत अंग्रेजों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया था।
वंदे मातरम् पर प्रतिबंध
प्रधानमंत्री ने बताया कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की रचना ने अंग्रेजों को हिला दिया था। उन्हें वंदे मातरम् गाने, छापने और बोलने पर सजा देने के लिए कठोर कानून बनाने पड़े। ये प्रतिबंध उनकी घबराहट को दर्शाते हैं, जिसने उन्हें भारत की आवाज को दबाने पर मजबूर किया।
महिलाओं की भूमिका
अपने भाषण में पीएम मोदी ने यह भी कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में सैकड़ों महिलाओं ने नेतृत्व किया और वंदे मातरम् उनके लिए प्रेरणा का स्रोत रहा। उन्होंने इस आंदोलन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण घटना का उल्लेख किया।