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वलसाड में मजदूरों को बंधक बनाने का मामला, मानवता को शर्मसार करने वाली घटना

वलसाड जिले के डुंगरी गांव में एक चौंकाने वाली घटना में गरीब मजदूरों को बंधक बनाकर काम कराया जा रहा था। ओडिशा के निवासी मोहन मांझी ने अपने छिपे हुए मोबाइल से इस गिरोह का पर्दाफाश किया। जब उसने अपने मालिक को अपनी स्थिति बताई, तो मदद के लिए सामाजिक कार्यकर्ता और पुलिस को सूचित किया गया। पुलिस ने महेश टंडेल के घर पर छापा मारा और कई श्रमिकों को मुक्त कराया। यह मामला मानवता को शर्मसार करने वाला है।
 

मजदूरों का बंधक बनाना

वलसाड: दादरा और नगर हवेली की सीमा पर स्थित डुंगरी गांव में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां कुछ गरीब श्रमिकों को बंधक बनाकर जबरन काम कराया जा रहा था। यह घटना तब उजागर हुई जब ओडिशा के निवासी मोहन मांझी, जो सेलवास के एक होटल में काम करते हैं, ने अपने छिपे हुए मोबाइल फोन की मदद से इस बंधक बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया।


कैद में मजदूर

मोहन मांझी पहले डुंगरी गांव के मछली व्यापारी महेश शांतिलाल टंडेल के लिए काम करता था। जब उसने अपने बकाया वेतन की मांग की, तो महेश ने उसे अपने घर में बंद कर दिया। मोहन के पास छिपा हुआ मोबाइल उसका एकमात्र सहारा बना। उसने अपने मालिक और होटल के संचालक विनोद पांडे को फोन करके अपनी स्थिति बताई। मोहन ने रोते हुए कहा कि वह अकेला नहीं है, बल्कि कई अन्य लोग भी महेश के घर में बंद हैं।


लाइव लोकेशन से मिली मदद

मोहन ने विनोद पांडे को अपनी लाइव लोकेशन भेजी। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए विनोद ने सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर से संपर्क किया। दोनों डुंगरी पहुंचे और पाया कि मोहन की बात सच थी। वहां कई अन्य श्रमिक भी कैद थे। मोहन को छुड़वाने के बाद, मामले की गंभीरता को देखते हुए डुंगरी पुलिस को सूचित किया गया।


महेश टंडेल की गिरफ्तारी

पुलिस ने महेश टंडेल के घर पर छापा मारा, लेकिन टंडेल ने पहले से ही अधिकतर श्रमिकों को समुद्र किनारे भेज दिया था। फिर भी, पुलिस ने सतर्कता दिखाई और महेश को हिरासत में लिया। पूछताछ के बाद, उसे समुद्र किनारे ले जाकर बाकी श्रमिकों को भी ढूंढ निकाला गया। वर्धा जामरा, कृष्णा पांडे, सुरेश पासवान और मोहन मांझी उन श्रमिकों में शामिल थे जिन्हें मुक्त किया गया।