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वसुंधरा राजे का भावुक बयान: पुराने साथियों को याद कर दिया संदेश

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने हाल ही में अजमेर में एक कार्यक्रम में अपने पुराने सहयोगियों को याद करते हुए एक भावुक बयान दिया। उन्होंने सांवरलाल जाट और भैरोंसिंह शेखावत के योगदान को सराहा और वर्तमान भाजपा नेतृत्व को संकेत दिया कि पुराने रिश्तों की अहमियत को समझें। राजे की यह सक्रियता और उनके बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गए हैं। क्या यह उनकी वापसी की तैयारी है? जानें पूरी कहानी में।
 

वसुंधरा राजे की सक्रियता

वसुंधरा राजे की ताजा गतिविधियाँ: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हाल के दिनों में सार्वजनिक मंचों पर अधिक सक्रिय नजर आ रही हैं। वे अपने पुराने सहयोगियों को याद करते हुए राजनीतिक संकेत भी दे रही हैं। अजमेर में स्वर्गीय सांवरलाल जाट की प्रतिमा के अनावरण के दौरान उनका एक भावुक बयान चर्चा का विषय बन गया है।


सांवरलाल जाट का साथ

सांवरलाल जाट का साथ हमेशा बना रहा


कार्यक्रम में वसुंधरा राजे ने कहा, “सांवरलाल जाट मेरे साथ हमेशा रहे। उन्होंने कभी भी राजनीतिक लाभ के लिए अपना पक्ष नहीं बदला। जब मैं उनकी प्रतिमा देखती हूं, तो ऐसा लगता है जैसे उन्होंने मुझे कभी छोड़ा ही नहीं।” यह बयान न केवल जाट को श्रद्धांजलि थी, बल्कि उनके पुराने सहयोगियों के लिए भी एक संदेश था।


भैरोंसिंह शेखावत का योगदान

भैरोंसिंह शेखावत का योगदान


राजे ने अपनी राजनीतिक यात्रा को याद करते हुए बताया कि कैसे भैरोंसिंह शेखावत ने उन्हें धौलपुर से विधानसभा और झालावाड़ से लोकसभा चुनाव लड़वाने में मदद की। उन्होंने बताया कि जब शेखावत ने बिना बताए उनकी चुनावी घोषणा की, तो वह घबरा गई थीं। लेकिन शेखावत ने उन्हें आश्वस्त किया कि सब कुछ ठीक है। राजे का मानना है कि यदि उन्होंने उस समय जोखिम नहीं लिया होता, तो शायद वह मुख्यमंत्री नहीं बन पातीं।


डॉ. दिगंबर सिंह की भूमिका

डॉ. दिगंबर सिंह: संकटमोचक मंत्री


राजे ने अपने कैबिनेट सहयोगी डॉ. दिगंबर सिंह को भी याद किया। 2007 में गुर्जर आंदोलन के दौरान, उन्होंने दिगंबर सिंह को आंदोलनकारियों से बातचीत करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। उनकी मेहनत से आंदोलन समाप्त हुआ और उन्हें ‘संकटमोचक मंत्री’ कहा जाने लगा। राजे ने कहा कि वे न केवल उनके साथी थे, बल्कि सच्चे मध्यस्थ और नीति निर्माता भी थे।


राजनीतिक संकेत

राजनीतिक संकेत


राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजे के बयान केवल श्रद्धांजलि नहीं हैं, बल्कि भाजपा के वर्तमान नेतृत्व और उनके पुराने सहयोगियों के लिए एक संदेश भी हैं। पहले जब चुनावी समीकरण बनते थे, तब उनके बंगले पर समर्थकों की भीड़ होती थी, लेकिन अब वहां सन्नाटा है।


भाजपा का साइडलाइन करना

भाजपा का साइडलाइन करना


2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने राजे को चेहरा नहीं बनाया। उनके करीबी नेताओं को टिकट नहीं दिया गया और मुख्यमंत्री पद की दौड़ में उन्हें दरकिनार कर दिया गया। लोकसभा चुनाव में भी उन्हें कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी गई।


वापसी की तैयारी

वापसी की तैयारी


हालांकि, वसुंधरा राजे अब फिर से सक्रिय हो रही हैं। वे हर कुछ महीनों में बड़े कार्यक्रमों में भाग लेती हैं और अपने समर्थकों के बीच लोकप्रिय बनी हुई हैं। उनका यह भाषण अतीत की यादों के साथ-साथ वर्तमान की पीड़ा और भविष्य की तैयारी का संकेत भी है।