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विकसित भारत-जी राम जी विधेयक 2025: क्या है विवाद का कारण?

केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया "विकसित भारत-जी राम जी विधेयक 2025" राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है। विपक्ष और सहयोगी दलों की चिंताओं के बीच, टीडीपी ने राज्यों पर वित्तीय बोझ को लेकर सवाल उठाए हैं। लोकसभा में विधेयक के पारित होने के बाद कांग्रेस ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है। जानें इस विधेयक के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
 

नई दिल्ली में राजनीतिक विवाद गहराता


नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया "विकसित भारत-जी राम जी विधेयक 2025" अब राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया है। विपक्ष इस विधेयक का कड़ा विरोध कर रहा है, जबकि सरकार के सहयोगी दल भी अपनी चिंताओं को व्यक्त करने लगे हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सदस्य तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने इस योजना के तहत राज्यों पर पड़ने वाले संभावित वित्तीय बोझ को लेकर चिंता जताई है।


टीडीपी की चिंताएं

तेलुगु देशम पार्टी के सांसद लवु श्री कृष्ण देवरयालु ने कहा कि मनरेगा में बदलाव पर लंबे समय से चर्चा चल रही थी। उनके अनुसार, कई हितधारकों का मानना है कि योजना को और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। इसी सोच के तहत पहले काम के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 किया गया था।


हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्यों की वित्तीय स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। देवरयालु ने कहा कि आंध्र प्रदेश 2014 से नकदी संकट का सामना कर रहा है। पिछले डेढ़ वर्षों में राज्य सरकार ने केंद्र के साथ मिलकर कई योजनाओं पर कार्य किया है और जब भी सहायता मांगी गई, केंद्र ने सहयोग किया। टीडीपी को उम्मीद है कि इस नई योजना के तहत भी राज्यों को आर्थिक राहत मिलेगी।


भुगतान व्यवस्था पर टीडीपी की आपत्ति

टीडीपी के प्रवक्ता एन विजय कुमार ने कहा कि पार्टी इस नए विधेयक का स्वागत करती है, लेकिन 40 प्रतिशत भुगतान राज्यों द्वारा वहन किए जाने के प्रावधान पर पुनर्विचार की मांग करेगी। उनका कहना है कि यदि राज्यों पर अत्यधिक वित्तीय जिम्मेदारी डाली गई तो योजना के क्रियान्वयन में कठिनाइयाँ आ सकती हैं।


लोकसभा में विधेयक का पारित होना

ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष के भारी विरोध के बीच इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया। सदन में नारेबाजी और शोर-शराबे के बावजूद विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि महात्मा गांधी का नाम हटाना उनके प्रति अपमान है और इस विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए या संसदीय समिति को भेजा जाना चाहिए।


सरकार का पलटवार

ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि महात्मा गांधी देशवासियों के दिलों में बसे हैं और उनका सम्मान किसी नाम से कम नहीं होता। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार गांधी जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर आधारित कई जनकल्याणकारी योजनाएं चला रही है। चौहान ने विपक्ष से सवाल किया कि जब कांग्रेस सरकार ने जवाहर रोजगार योजना का नाम बदला था, तब क्या वह पंडित जवाहरलाल नेहरू का अपमान था?


बजट का बड़ा दावा

सरकार का दावा है कि मनरेगा के तहत अब तक 8.53 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि नए विधेयक के तहत 125 दिन के रोजगार की गारंटी दी जा रही है और इसके लिए 1.51 लाख करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया गया है। उनके अनुसार, यह योजना केवल रोजगार तक सीमित नहीं है, बल्कि गांवों के समग्र विकास को गति देने का काम करेगी।


कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन

कांग्रेस ने योजना का नाम बदले जाने के विरोध में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करने की योजना बनाई है। पार्टी का कहना है कि मनरेगा केवल एक योजना नहीं, बल्कि महात्मा गांधी की विचारधारा से जुड़ा प्रतीक है, जिसे समाप्त नहीं किया जा सकता।


राजनीतिक टकराव की संभावना

कुल मिलाकर, विकसित भारत-जी राम जी विधेयक 2025 को लेकर सरकार, विपक्ष और सहयोगी दलों के बीच टकराव बढ़ता नजर आ रहा है। आने वाले दिनों में संसद के भीतर और बाहर इस मुद्दे पर राजनीति और तेज होने की संभावना है।