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शरद पवार का राजनीतिक भविष्य: विलय या भाजपा से तालमेल?

शरद पवार के राजनीतिक भविष्य पर कई सवाल उठ रहे हैं। क्या वे अपनी पार्टी का विलय करेंगे या भाजपा के साथ तालमेल बनाएंगे? इस लेख में जानें उनके विकल्प और संभावनाएं। क्या सुप्रिया सुले उनके निर्णय को प्रभावित करेंगी? जानिए इस राजनीतिक दुविधा के पीछे की कहानी और संभावित परिणाम।
 

शरद पवार के राजनीतिक विकल्प

एनसीपी के संस्थापक शरद पवार के सामने कई विकल्प हैं। क्या वे अपनी पार्टी का विलय अपने भतीजे अजित पवार की पार्टी में करेंगे, या भाजपा के साथ तालमेल बनाकर एनडीए का हिस्सा बनेंगे? या फिर, वे सभी अटकलों को गलत साबित करते हुए 'इंडिया' ब्लॉक में बने रहेंगे? इन सवालों का उत्तर केवल शरद पवार या उनकी बेटी सुप्रिया सुले ही दे सकती हैं।


पत्रकार वीर सांघवी ने अपनी किताब में शरद पवार के बारे में लिखा है कि यदि वे हवाईअड्डे पर मुंबई का बोर्डिंग कार्ड लिए नजर आते हैं, तो यह जरूरी नहीं कि वे मुंबई ही जा रहे हों; वे चेन्नई भी जा सकते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि जो वे करते हुए दिखते हैं, वह हमेशा सच नहीं होता।


वर्तमान में, शरद पवार हर दूसरे दिन भतीजे अजित पवार के साथ मंच साझा कर रहे हैं और यह कह रहे हैं कि यदि दोनों पार्टियों का विलय होता है, तो यह किसी को आश्चर्यचकित नहीं करेगा। जानकार सूत्रों के अनुसार, शरद पवार ने पहले भी विपक्षी गठबंधन को छोड़कर सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल होने का निर्णय लिया था, लेकिन उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने उस समय उनका निर्णय टाल दिया था।


हालांकि, अब सुप्रिया भी 11 वर्षों से विपक्ष में रहकर थक चुकी हैं। जब सरकार ने उन्हें विदेश जाने वाले एक डेलिगेशन का नेतृत्व करने का प्रस्ताव दिया, तो उन्होंने तुरंत सहमति दे दी। दूसरी ओर, अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार इस विलय के पक्ष में नहीं हैं। उन्हें यह चिंता है कि यदि विलय होता है और केंद्र सरकार में मंत्री पद मिलता है, तो वह सुप्रिया सुले को जाएगा, जिन्होंने उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव में हराया था।


इसलिए, अब चर्चा तेज हो गई है कि शरद पवार सीधे भाजपा से तालमेल कर सकते हैं। इससे एनडीए में एक और पार्टी जुड़ जाएगी और भाजपा को आठ लोकसभा सांसदों का समर्थन प्राप्त होगा। इसके बाद, उनकी बेटी और एक अन्य सांसद मंत्री बन जाएंगे, जिससे अजित पवार अपनी पार्टी तोड़ने के बारे में भी नहीं सोचेंगे।