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शांता कुमार ने राजनीति में नैतिकता की आवश्यकता पर जोर दिया

हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने हाल ही में एक समारोह में राजनीति में नैतिकता की कमी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि मूल्यों की गिरावट को रोकना देश की सबसे बड़ी आवश्यकता है। अपनी आत्मकथा के विमोचन के दौरान, उन्होंने गीता और स्वामी विवेकानंद के विचारों का उल्लेख किया और अपने राजनीतिक सफर में सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को साझा किया। इस कार्यक्रम में कई प्रमुख हस्तियां भी उपस्थित थीं।
 

राजनीति में मूल्यों की कमी पर चिंता

धर्मशाला - हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने हाल ही में कहा कि वर्तमान समय में राजनीति में मूल्यों की कमी हो रही है, और इसे रोकना देश के लिए अत्यंत आवश्यक है।


शांता कुमार ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएचपी) में अपनी आत्मकथा 'निज पथ का अविचल पंथी' के पंजाबी संस्करण के विमोचन समारोह में नैतिकता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि उनके जीवन और राजनीतिक यात्रा पर गीता और स्वामी विवेकानंद के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा है।


कुमार ने कहा, 'स्वीकार करने में एक जादू है। कठिन समय में गीता ने मुझे अपने कर्म पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया।' उन्होंने यह भी कहा कि उनका राजनीतिक सफर संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन उन्होंने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने का उदाहरण देते हुए कहा, 'मैं अपनी आत्मा का सौदा नहीं कर सकता। सत्ता जा सकती है, लेकिन सत्य हमेशा बना रहता है।'


यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के पंजाबी और डोगरी विभाग द्वारा आयोजित किया गया था, जिसकी अध्यक्षता सीयूएचपी के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने की। इस अवसर पर लोकसभा सांसद डॉ. राजीव भारद्वाज विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरमोहिंदर सिंह बेदी भी मौजूद थे।