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शीतकालीन सत्र में कर्मचारियों के अधिकारों पर जोर, 'राइट टू डिस्कनेक्ट' बिल पेश

लोकसभा के शीतकालीन सत्र में कई महत्वपूर्ण निजी सदस्य बिल पेश किए गए, जिनमें 'राइट टू डिस्कनेक्ट' बिल प्रमुख है। यह बिल कर्मचारियों को कार्य समय के बाद काम से संबंधित कॉल और संदेशों का उत्तर न देने का कानूनी अधिकार प्रदान करता है। इसके अलावा, महिलाओं के लिए मासिक धर्म अवकाश और पत्रकारों की सुरक्षा पर भी चर्चा की गई। इस सत्र में सामाजिक मुद्दों को उठाना महत्वपूर्ण है, जिससे संसद में इन चिंताओं को आवाज मिल सके।
 

शीतकालीन सत्र में पेश हुए महत्वपूर्ण बिल

शुक्रवार को लोकसभा के शीतकालीन सत्र में कई निजी सदस्य बिल प्रस्तुत किए गए, जिनमें कर्मचारियों के अधिकार, महिलाओं की विशेष आवश्यकताओं और पत्रकारों की सुरक्षा जैसे मुद्दे शामिल थे। इनमें सबसे अधिक ध्यान एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले द्वारा पेश किए गए 'राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, 2025' ने आकर्षित किया, जो कार्यस्थल के बाहर कर्मचारियों पर अनावश्यक दबाव को रोकने का प्रयास है। इस सत्र में उठाए गए ये प्रस्ताव न केवल बहस को प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि सामाजिक मुद्दों को संसद में भी उठाते हैं।


'राइट टू डिस्कनेक्ट' की आवश्यकता

सुप्रिया सुले द्वारा प्रस्तुत इस बिल का उद्देश्य कर्मचारियों को कार्यालय के समय के बाद कार्य संबंधी कॉल, ईमेल या संदेशों का उत्तर न देने का कानूनी अधिकार प्रदान करना है। यह प्रस्तावित कानून कार्य-जीवन संतुलन को बनाए रखने और व्यक्तिगत समय में हस्तक्षेप को रोकने पर केंद्रित है। इसके अलावा, यह एक कर्मचारी कल्याण प्राधिकरण की स्थापना का भी सुझाव देता है, जो कंपनियों द्वारा अतिरिक्त कार्यदबाव की निगरानी करेगा।


सत्र में सामाजिक मुद्दों की प्रासंगिकता

यह बिल ऐसे समय में पेश किया गया है जब शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से चल रहा है और 19 दिसंबर तक कुल 15 बैठकें निर्धारित हैं। सदन में राज्यवार मतदाता सूची के लिए जारी स्पेशल इटीसव रिवीजन प्रक्रिया को लेकर भी गर्मागर्म चर्चा हो रही है। इस प्रकार के सामाजिक मुद्दों का उठना सत्र को और अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।


महिलाओं के लिए विशेष ध्यान

शुक्रवार को महिला कर्मचारियों की आवश्यकताओं से संबंधित दो महत्वपूर्ण बिल भी पेश किए गए। कांग्रेस सांसद कडियम कव्या ने मेनस्ट्रुअल बेनिफिट्स बिल, 2024 प्रस्तुत किया, जिसमें मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को सुविधाएं और कार्यस्थलों को अधिक संवेदनशील बनाने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही, शंभवी चौधरी ने भुगतानयुक्त मासिक धर्म अवकाश और स्वच्छता सुविधाओं के लिए एक बिल पेश किया।


शिक्षा और NEET पर चर्चा

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने तमिलनाडु को मेडिकल प्रवेश के लिए NEET परीक्षा से छूट देने का प्रस्ताव रखा। यह उस विवाद से संबंधित है जिसमें तमिलनाडु सरकार ने एंटी-NEET बिल को मंजूरी न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। राज्य पहले से ही इस परीक्षा के खिलाफ मुखर रहा है।


पत्रकारों की सुरक्षा पर गंभीर चर्चा

स्वतंत्र सांसद विशालदादा प्रकाशबापू पाटिल ने पत्रकारों पर बढ़ते हमलों को रोकने के लिए 'जर्नलिस्ट (प्रिवेंशन ऑफ वायलेंस एंड प्रोटेक्शन) बिल, 2024' पेश किया। इस बिल में पत्रकारों और उनकी संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की गई है। यह प्रस्ताव मीडिया जगत की सुरक्षा संबंधी चिंताओं को संसद में मजबूती से उठाता है।