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संजय सिंह ने कुली समाज की समस्याओं को संसद में उठाने का किया वादा

आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कुली समाज की समस्याओं को संसद में उठाने का वादा किया है। उन्होंने रेलवे स्टेशनों पर काम करने वाले कुलियों की बदहाल स्थिति और केंद्र सरकार की निजीकरण नीति की आलोचना की। संजय सिंह ने कहा कि कुलियों को सरकारी नौकरी से वंचित किया गया है और उनकी आजीविका पर संकट मंडरा रहा है। उन्होंने कुलियों के उत्थान के लिए आवश्यक सुविधाओं की कमी पर भी चिंता व्यक्त की। जानें इस मुद्दे पर उनके विचार और कुली समाज के लिए उनकी प्रतिबद्धता।
 

कुली समाज की बदहाल स्थिति पर संजय सिंह का ध्यान

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने रेलवे स्टेशनों पर काम करने वाले कुली समाज की कठिनाइयों को संसद में प्रमुखता से उठाने का आश्वासन दिया है। मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में कुली समाज के प्रतिनिधियों के साथ आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के निजीकरण के निर्णय ने कुलियों को बेरोजगारी की कगार पर ला खड़ा किया है। उन्होंने कहा, "मैंने इनकी समस्याओं को सदन में कई बार उठाया है, लेकिन सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। अब मैं एक बार फिर इनके मुद्दों को संसद में उठाऊंगा और इनकी लड़ाई में मजबूती से साथ खड़ा रहूंगा।


कुली समाज का दर्द: कोई सुनने वाला नहीं

संजय सिंह ने कुली समाज के दुख को व्यक्त करते हुए कहा, "जब से रेलवे स्टेशन हैं, तब से लोगों का बोझ उठाने के लिए कुली हैं। हमें यात्रा के दौरान ये कुली मिलते हैं, हमारा बोझ उठाते हैं और फिर हम इन्हें भूल जाते हैं। कुलियों के दर्द को सुनने-समझने वाला कोई नहीं है।" उन्होंने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव की नीति का उल्लेख किया, जिसने 2008 में लगभग 22,000 कुलियों को रेलवे में नौकरी दी थी। हालांकि, अभी भी 20,000 से अधिक कुली सरकारी नौकरी से वंचित हैं।


निजीकरण ने छीना रोजगार

संजय सिंह ने केंद्र सरकार की निजीकरण नीति की आलोचना करते हुए कहा कि रेलवे स्टेशनों पर कुलियों के कार्य को निजी कंपनियों को सौंप दिया गया है, जिससे उनकी आजीविका पर संकट मंडरा रहा है। "कुली माई एप के जरिए कुलियों को कुछ आमदनी हो जाती थी, लेकिन निजीकरण ने वह भी छीन लिया। इन कुलियों को न तो सरकारी नौकरी मिली है और न ही कुली का काम ही मिल रहा है," उन्होंने कहा। इस स्थिति ने कुलियों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट खड़ा कर दिया है।


रेलवे की सुविधाएं: वादे अधूरे

राष्ट्रीय कुली मोर्चा के संयोजक राम सुरेश यादव ने प्रेस वार्ता में कहा, "हमारी मांग है कि 2008 में लालू प्रसाद यादव द्वारा शुरू की गई नीति के तहत बचे हुए कुलियों को रेलवे में समायोजित किया जाए।" उन्होंने बताया कि रेल मंत्री ने पिछले संसद सत्र में दावा किया था कि कुलियों के उत्थान और सामाजिक सुरक्षा के लिए उनके बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य, यूनिफॉर्म, पानी और रेस्ट हाउस जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं। लेकिन यादव ने कहा, "देश के किसी भी रेलवे स्टेशन पर ये सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। रेलवे बोर्ड के आदेशों के बावजूद ये सुविधाएं लागू नहीं की गई हैं।


निजीकरण का प्रभाव: काम और सम्मान पर संकट

यादव ने निजीकरण के दुष्प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए कहा, "अगर सरकार ये सुविधाएं दे भी देती है, तो उसका हमें क्या फायदा है, जब हमारे काम को निजी हाथों में दे दिया जाएगा। प्राइवेट कंपनी अपना आदमी रखकर काम कराएगी। जब हमारे पास काम ही नहीं बचेगा, तो हम न अपने बच्चों को पढ़ा सकते हैं और न ही अपना घर चला सकते हैं।" उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार 2008 की नीति के तहत बचे हुए कुलियों को रेलवे में समायोजित करे।


लालू प्रसाद का वादा अधूरा

यादव ने बताया कि लालू प्रसाद यादव ने वादा किया था कि 18 से 50 साल के कुलियों को समायोजित किया जाएगा, और बाद में बचे हुए लोगों के बच्चों को भी नौकरी दी जाएगी। "लेकिन यह वादा आज तक पूरा नहीं हुआ। हमारी मांग है कि सभी कुलियों को रेलवे के अंदर समायोजित किया जाए।


संसद में आंदोलन की प्रतिबद्धता

संजय सिंह ने कुली समाज के साथ अपनी एकजुटता दोहराई और कहा कि वह संसद सत्र में उनके मुद्दों को जोर-शोर से उठाएंगे। "अगर कुली जंतर-मंतर या कहीं और आंदोलन करेंगे, तो मैं उनके आंदोलन में शामिल होऊंगा," उन्होंने वादा किया। यह प्रतिबद्धता कुली समाज के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है, जो लंबे समय से अपनी मांगों के लिए संघर्ष कर रहा है।