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संसद में मानसून सत्र के दौरान शांति की उम्मीद, लेकिन विवाद की आशंका

संसद के मानसून सत्र में 28 जुलाई से कार्यवाही की सुचारू शुरुआत की उम्मीद है, लेकिन विपक्षी दलों के नेताओं का मानना है कि यह शांति अस्थायी हो सकती है। चर्चा पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर पर होगी, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी का जवाब भी शामिल होगा। विपक्ष मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर चिंतित है, जिससे संसद में हंगामा जारी रहने की संभावना है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कह रहे हैं नेता।
 

संसद में कार्यवाही की सुचारू शुरुआत

28 जुलाई से संसद के मानसून सत्र में शांति बहाल होने और कार्यवाही के सुचारू रूप से चलने की उम्मीद जताई जा रही है। शुक्रवार, 25 जुलाई को स्पीकर ओम बिरला द्वारा आयोजित सर्वदलीय बैठक में सभी दलों के नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि सोमवार से कार्यवाही बिना किसी रुकावट के चलेगी। हालांकि, यह सवाल उठता है कि यह शांति कितने दिनों तक बनी रहेगी और क्या पूरा सत्र इसी तरह शांतिपूर्ण रहेगा। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं का मानना है कि यह शांति अस्थायी है और दो दिन बाद फिर से हंगामा शुरू हो सकता है।


यह शांति पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर पर होने वाली चर्चा के लिए बहाल की गई है। यह तय हुआ है कि सोमवार को लोकसभा में चर्चा शुरू होगी और मंगलवार को राज्यसभा में। दोनों सदनों के लिए चर्चा के लिए 16-16 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि चर्चा का समय बढ़ेगा क्योंकि हर पार्टी के नेता को इस पर बोलने का अवसर मिलेगा। चर्चा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना जवाब देंगे। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री के जवाब के साथ ही विवाद फिर से शुरू हो जाएगा। उनके अनुसार, विवाद के बिंदु खुद प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रस्तुत किए जाएंगे।


यदि प्रधानमंत्री विपक्ष पर बड़ा हमला नहीं करते हैं और कोई विवादास्पद टिप्पणी नहीं करते हैं, तब भी विपक्ष बिहार के मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के मुद्दे को छोड़ने वाला नहीं है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और चुनाव आयोग इसे पूरे देश में लागू करने की योजना बना रहा है। बिहार में 65 लाख नामों के कटने की बात सामने आई है और कई स्थानों पर मतदाता सूची में फर्जी नाम जोड़ने की शिकायतें भी हैं। विपक्षी दलों को इस बात की चिंता है कि महाराष्ट्र मॉडल को दोहराया जा रहा है। राहुल गांधी का आरोप है कि महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में फर्जी मतदाता बनाए गए और मतदान के दिन उनके वोट से मतदान प्रतिशत बढ़ाया गया। उन्होंने महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक में लोकसभा चुनाव परिणामों को संदिग्ध बताया है।


राहुल गांधी ने कहा है कि उनके पास कर्नाटक में गड़बड़ी के सबूत हैं और चुनाव आयोग और उसके अधिकारियों को इससे बचने का कोई रास्ता नहीं है। जब वे इस मुद्दे को इतनी दूर तक ले जा रहे हैं, तो यह स्पष्ट है कि संसद में स्थायी शांति बहाल नहीं होने वाली है। कांग्रेस के अलावा, बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद और पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी इसका विरोध जारी रखेगी। तृणमूल कांग्रेस को चिंता है कि अगले साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हैं। यदि चुनाव आयोग ने वहां नाम काटने और जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की, तो यह मुश्किल हो सकता है। इसलिए, मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का मामला ठंडा नहीं होगा और संसद में हंगामा जारी रहेगा।