सजीब वाजेद जॉय का बांग्लादेश सरकार पर बड़ा आरोप: प्रत्यर्पण अनुरोध को बताया गैर-कानूनी
सजीब वाजेद जॉय का बयान
नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने अपनी मां के खिलाफ चल रहे कानूनी मामलों को पूरी तरह से अवैध करार दिया है। उन्होंने ढाका द्वारा भेजे गए प्रत्यर्पण अनुरोध की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि यह कानूनी रूप से मान्य नहीं है और भारत इस पर कोई कार्रवाई नहीं करेगा। उनके अनुसार, भारत की लोकतांत्रिक और न्यायिक प्रणाली इतनी मजबूत है कि वह ऐसे अनुचित अनुरोधों को नजरअंदाज कर देगी।
'हत्या की योजना का खुलासा'
सजीब वाजेद ने एक साक्षात्कार में बताया कि अगस्त 2024 में जब उनकी मां शेख हसीना को भारत लाया गया, तब बांग्लादेश में कट्टरपंथी समूह उनकी हत्या की योजना बना चुके थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया, यह कहते हुए कि भारत ने समय पर उनकी मां की जान बचाई, क्योंकि अगर वह बांग्लादेश में रहतीं, तो उनकी जान को खतरा होता।
प्रत्यर्पण अनुरोध को अवैध ठहराया
सजीब वाजेद ने बांग्लादेश सरकार द्वारा भेजे गए प्रत्यर्पण अनुरोध को अवैध ठहराते हुए कई गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि ट्रायल शुरू होने से पहले ही 17 जजों को हटा दिया गया था, कई कानून बिना संसद की स्वीकृति के बदल दिए गए थे, और बचाव पक्ष के वकीलों को अदालत में आने की अनुमति नहीं दी गई। उनके अनुसार, जब न्याय की प्रक्रिया ही समाप्त कर दी गई हो, तो कोई भी देश ऐसे मामलों में प्रत्यर्पण को स्वीकार नहीं करेगा।
'संगठित राजनीतिक साजिश का आरोप'
जुलाई 2024 में हुए विरोध प्रदर्शनों के संदर्भ में, सजीब वाजेद ने स्वीकार किया कि उनकी सरकार स्थिति को संभालने में प्रारंभ में असफल रही, लेकिन उनका दावा है कि ये आंदोलन सामान्य जन आक्रोश नहीं, बल्कि एक संगठित राजनीतिक साजिश थी। उन्होंने कहा कि मौजूदा अंतरिम यूनुस सरकार ने उनके शासनकाल में दोषी ठहराए गए हजारों उग्रवादियों को जेल से रिहा कर दिया है।
'लश्कर-ए-तैयबा की सक्रियता'
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि लश्कर-ए-तैयबा बांग्लादेश में सक्रिय है और इसका नेटवर्क हाल ही में भारत में हुए हमलों से जुड़ा हुआ है। उनके अनुसार, कई वीडियो साक्ष्य दिखाते हैं कि पिछले साल के प्रदर्शनों में हथियारबंद लोग शामिल थे, और ये हथियार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा उपलब्ध कराए गए थे। सजीब वाजेद ने यह भी कहा कि बाइडन प्रशासन ने USAID के माध्यम से बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के लिए बड़ी रकम खर्च की, जबकि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन इस्लामवाद और आतंकवाद के बढ़ने को लेकर अधिक चिंतित था।
'गैर-निर्वाचित सरकार पर सवाल'
उन्होंने अंतरिम सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले एक साल से अधिक समय से एक गैर-निर्वाचित सरकार सत्ता में है, हजारों राजनीतिक कार्यकर्ता बिना मुकदमे जेल में हैं और सौ से अधिक पूर्व सांसदों को हिरासत में रखा गया है।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि यदि मुहम्मद यूनुस जनता में लोकप्रिय हैं, तो वे चुनाव क्यों नहीं कराते? अपनी मां की सरकार में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उन्होंने स्वीकार किया कि समस्याएं थीं, लेकिन दावा किया कि हसीना के शासन में बांग्लादेश पहले की तुलना में कम भ्रष्ट देशों की सूची में आ गया है और इसे एक संभावित 'एशियन टाइगर' के रूप में पहचाना जाने लगा है।