सर्बिया में छात्रों का उग्र प्रदर्शन: क्या सत्ता का तख्तापलट संभव है?
सर्बिया में बगावत का आगाज़
यूरोप का एक शांतिप्रिय देश सर्बिया आज खून से सना हुआ है। राजधानी बेलग्रेड की सड़कों पर हजारों छात्र उतर आए हैं। यह केवल एक विरोध प्रदर्शन नहीं है, बल्कि एक ऐसी बगावत बन चुकी है जो सर्बिया की सत्ता को हिला रही है। आठ महीने पहले नोवी साड के रेलवे स्टेशन पर हुए एक हादसे ने जो आग भड़काई थी, वह अब गृहयुद्ध जैसे हालात में बदल चुकी है। छात्र अब सड़कों पर 'तानाशाही मुर्दाबाद' के नारे लगा रहे हैं।
हादसे का प्रभाव और छात्रों की आवाज़
1 नवंबर 2024 को नोवी साड रेलवे स्टेशन की छत गिरने से 16 लोगों की जान गई थी। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। लापरवाही और भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों का गुस्सा पहले सिसकियों में फूटा, फिर नारों में और अब बगावत में बदल गया है। इस आंदोलन का नेतृत्व देश के विश्वविद्यालयों के छात्र कर रहे हैं, जो इसे 'नई आज़ादी की लड़ाई' मानते हैं।
प्रदर्शन का उग्र रूप
पिछले आठ महीनों में यह आंदोलन लगातार बढ़ता गया है। पहले यह शांतिपूर्ण था, लेकिन अब यह नियंत्रण से बाहर हो गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों में सड़कों पर जुलूस, पुलिस की लाठियां, आंसू गैस और झड़पें देखी जा सकती हैं। छात्रों की भीड़ राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक के इस्तीफे की मांग कर रही है, जिन पर पुतिन के करीबी होने और 12 साल से सत्ता में बने रहने के आरोप हैं।
प्रधानमंत्री का इस्तीफा, राष्ट्रपति का अडिग रहना
जनता के दबाव में सर्बिया के प्रधानमंत्री मिलोस वुचेविच ने इस्तीफा दे दिया है। लेकिन राष्ट्रपति वुसिक अब भी सत्ता पर बने हुए हैं। यही कारण है कि प्रदर्शनकारी और भी उग्र हो गए हैं। उनके पोस्टर पर लिखा है – 'वुसिक को जाना ही होगा'।
बांग्लादेश के छात्र आंदोलनों से समानता
इस घटनाक्रम को पिछले साल बांग्लादेश में हुए छात्र आंदोलनों से जोड़ा जा रहा है। वहां भी छात्रों ने तानाशाही के खिलाफ विद्रोह किया था। सर्बिया की मौजूदा स्थिति वही चेतावनी दोहरा रही है – जब युवा खड़े होते हैं, तो सत्ता कांपने लगती है।
सर्बिया का विभाजन
एक तरफ सरकार है, दूसरी तरफ युवा क्रांति। सोशल मीडिया पर #SerbiaRevolt ट्रेंड कर रहा है। वीडियो में आंसू गैस के बीच नारे, गिरती बैरिकेड्स और डटे हुए छात्र दिखाई दे रहे हैं।
क्या तख्तापलट की संभावना है?
हालात जिस दिशा में बढ़ रहे हैं, उसमें तख्तापलट अब केवल एक सवाल नहीं, बल्कि एक संभावना बन चुकी है। सर्बिया की सड़कों पर जो आग लगी है, वह अब बेलग्रेड के राष्ट्रपति भवन तक पहुंच चुकी है।