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सीपी राधाकृष्णन की उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत: राष्ट्रवादी विचारधारा की विजय

सीपी राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत हासिल की है, जिसे उन्होंने राष्ट्रवादी विचारधारा की व्यापक विजय के रूप में देखा। चुनाव में उन्हें 452 वोट मिले, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार को 300 वोट मिले। यह जीत उनके राजनीतिक करियर का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो RSS और BJP से जुड़ा हुआ है। जानें इस चुनाव के महत्वपूर्ण पहलुओं और राधाकृष्णन की राजनीतिक यात्रा के बारे में।
 

उपराष्ट्रपति चुनाव में सीपी राधाकृष्णन की जीत

सीपी राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत हासिल की है, जिसे उन्होंने विचारधाराओं की लड़ाई के रूप में देखा। उन्होंने कहा कि चुनाव के परिणामों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि "राष्ट्रवादी विचारधारा की व्यापक जीत हुई है।" यह बयान विपक्ष के उस दृष्टिकोण का प्रतिवाद है, जिसमें चुनाव को "विचारधाराओं की जंग" बताया गया था।


मंगलवार को हुए चुनाव में, एनडीए के उम्मीदवार राधाकृष्णन ने जगदीप धनखड़ की जगह ली और 68 वर्ष की आयु में देश के नए उपराष्ट्रपति बने। उन्होंने 452 पहले वरीयता के वोट प्राप्त किए, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। चुनाव में कुल 754 वोट डाले गए, जिनमें से 15 अवैध पाए गए।


हालांकि, राधाकृष्णन की जीत का अंतर 152 वोटों का है, जो हाल के उपराष्ट्रपति चुनावों में सबसे कम में से एक है। 2022 में, जगदीप धनखड़ ने विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 346 वोटों के बड़े अंतर से हराया था।


राधाकृष्णन की यह जीत उनके लंबे राजनीतिक करियर का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़ा हुआ है। वे कोयंबटूर से दो बार सांसद रह चुके हैं और तमिलनाडु में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं।