सीमांचल में ओवैसी की न्याय यात्रा: बिहार की राजनीति में हलचल
सीमांचल की राजनीति में ओवैसी का प्रभाव
बिहार की राजनीति में सीमांचल एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है। एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने चुनावी मैदान में कदम रखते ही सत्ता और विपक्ष दोनों पर तीखे हमले शुरू कर दिए हैं। उन्होंने किशनगंज से अपनी तीन दिवसीय ‘सीमांचल न्याय यात्रा’ की शुरुआत की, जहां मुस्लिम समुदाय की संख्या अधिक है।ओवैसी ने एक टीवी साक्षात्कार में कहा कि यदि एनडीए को बहुमत मिलता है, तो मुख्यमंत्री भाजपा का नेता होगा, नीतीश कुमार नहीं। यह बयान ऐसे समय में आया है जब एनडीए के भीतर के समीकरणों पर चर्चा चल रही है।
जब ओवैसी से पूछा गया कि विपक्ष उन्हें भाजपा की 'बी टीम' कहता है और आरोप लगाता है कि वह मुस्लिम वोटों को बांट रहे हैं, तो उन्होंने इसे सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि अगर विपक्षी दलों को एआईएमआईएम से डर नहीं है, तो वे बातचीत से क्यों भागते हैं? लालू यादव के घर के बाहर उनके समर्थकों की मौजूदगी पर ओवैसी ने कहा कि विरोधियों को बातचीत से परहेज नहीं करना चाहिए।
पिछले विधानसभा चुनाव में सीमांचल की पांच सीटों पर जीत हासिल करने के बाद, ओवैसी ने इस बार और अधिक तैयारी के साथ चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय लिया है। हालांकि, पिछले चुनाव में चार विधायक राजद में शामिल हो गए थे, जिससे एआईएमआईएम को झटका लगा था।
ओवैसी ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ उन्हें छह सीटें देने के लिए तैयार हो जाए, तो वे सहयोग के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को इस संबंध में कई पत्र भेजे गए हैं। यदि गठबंधन से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो यह साबित हो जाएगा कि असली फायदा भाजपा को किसकी वजह से मिल रहा है।