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सीरिया में संसदीय चुनाव: असद शासन के अंत की नई शुरुआत?

सीरिया में 14 साल बाद संसदीय चुनाव हुए हैं, लेकिन इस बार जनता को मतदान का अधिकार नहीं दिया गया। राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने चुनाव को लोकतांत्रिक परिवर्तन का पहला कदम बताया, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह केवल उनकी सरकार की वैधता को मजबूत करने का प्रयास है। जानिए इस चुनाव की पूरी कहानी और जनता की अनुपस्थिति के पीछे के कारण।
 

सीरिया में चुनाव का ऐतिहासिक क्षण

सीरिया में लगभग 14 वर्षों के बाद संसदीय चुनाव आयोजित किए गए हैं। यह एक ऐसा राष्ट्र है जो बशर अल-असद के तानाशाही शासन और 13 साल के गृहयुद्ध के कारण बर्बाद हो चुका है। मतदान प्रक्रिया रविवार सुबह दमिश्क में शुरू हुई, जिसे असद शासन के अंत के बाद एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।



पिछले साल दिसंबर में हुए तख्तापलट के बाद, राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने सत्ता संभाली थी। उन्होंने यह आश्वासन दिया था कि यह चुनाव लोकतांत्रिक परिवर्तन की दिशा में पहला कदम होगा, लेकिन वास्तविकता इससे भिन्न निकली।
जनता को वोट देने का अधिकार नहीं दिया गया। 210 सदस्यीय संसद में से केवल 140 सीटों पर मतदान 7000 चयनित चुनावी कॉलेज सदस्यों द्वारा किया गया।


इन सदस्यों का चयन सरकार द्वारा नियुक्त जिला समितियों ने किया था, जबकि बाकी 70 सीटें राष्ट्रपति शरा द्वारा सीधे नियुक्त की जाएंगी। आम जनता और राजनीतिक दल इस प्रक्रिया से पूरी तरह बाहर हैं। सबसे बड़ा विवाद जनता की अनुपस्थिति को लेकर है। आलोचकों का कहना है कि यह चुनाव जनता की इच्छाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता, बल्कि शरा की सरकार की वैधता को मजबूत करने का एक प्रयास है।