सुप्रिया श्रीनेत का बड़ा बयान: सरकार की तानाशाही पर उठाए सवाल
बनारस में मतदाता अधिकार सम्मेलन
कांग्रेस की नेता सुप्रिया श्रीनेत ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया। वे शनिवार को बनारस में मतदाता अधिकार सम्मेलन में भाग लेने पहुंचीं। पराड़कर भवन में सम्मेलन की अनुमति न मिलने पर उन्होंने इसे तानाशाही और डर का प्रतीक बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कार्यक्रम कांग्रेस का नहीं, बल्कि सिविल सोसायटी का था। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक, जो पहले सरकार के करीबी थे, अब रासुका के तहत गिरफ्तार कर लिए गए हैं। यह सरकार की कायरता को दर्शाता है। हर नागरिक को सरकार के निर्णयों से असहमत होने का अधिकार है, और कोई भी तानाशाह जनता के अधिकारों को नहीं छीन सकता। बनारस में भी वोट चोरी का मुद्दा एक दिन सामने आएगा, और जब यह मुद्दा उठेगा, तो सरकार की नींव हिल जाएगी।
सियासी हमले का आरोप
सुप्रिया ने आगे कहा कि यह दुखद है कि पराड़कर भवन, जो पत्रकारों का स्थान है, में कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई। प्रशासन ने इस कार्यक्रम को तकनीकी कारणों से निरस्त कर दिया। उन्होंने बताया कि एक वरिष्ठ अधिकारी ने भवन पर बुलडोजर चलाने की धमकी दी, जिसके बाद अनुमति रद्द की गई। उन्होंने राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग, सरकार और भाजपा के बीच मिलीभगत के पुख्ता सबूत पेश करने का भी जिक्र किया। चुनाव जीतने के लिए वोट काटने और जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है, और सत्ताधारी पार्टी के किसी भी सदस्य ने राहुल गांधी के आरोपों का खंडन नहीं किया है।
बिहार में चुनाव आयोग की चुप्पी
मणिपुर में स्थिति अभी भी गंभीर है। बिहार में मुख्यमंत्री द्वारा महिलाओं के खातों में 10-10 हजार रुपये भेजने की योजना को सुप्रिया ने चुनाव से पहले वोट खरीदने का तरीका बताया। उन्होंने कहा कि इस योजना से निष्पक्ष चुनाव की संभावना खत्म हो रही है, और चुनाव आयोग इस पर चुप है। मणिपुर में ढाई साल से स्थिति खराब है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ढाई साल बाद वहां एक प्रोजेक्ट का फीता काटने का कार्यक्रम किया, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।