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सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: पड़ोसी के झगड़ों को आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध नहीं माना जा सकता

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि पड़ोसियों के बीच झगड़े आम हैं और इन्हें आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध नहीं माना जा सकता। यह टिप्पणी कर्नाटक की एक महिला के मामले में की गई, जिसने पड़ोसी के झगड़ों के कारण आत्मदाह किया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक पड़ोसी के आत्महत्या के निर्णय के लिए दूसरे को दंडित करना कानून की सीमाओं के भीतर नहीं आता। इस निर्णय के पीछे की पूरी कहानी जानने के लिए पढ़ें।
 

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि पड़ोसियों के बीच होने वाले झगड़े सामान्य हैं और इन्हें आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध नहीं माना जा सकता। यह टिप्पणी कर्नाटक की एक महिला को बरी करते हुए की गई।


महिला की आत्महत्या का मामला

एक 25 वर्षीय महिला ने पड़ोसियों के बीच लगातार झगड़ों के कारण आत्मदाह कर लिया था। उसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 के तहत अपनी पड़ोसी को दोषी ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि एक पड़ोसी द्वारा आत्महत्या करने के निर्णय के लिए दूसरे पड़ोसी को दंडित करना कानून की सीमाओं के भीतर नहीं आता।