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सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना। यह टिप्पणी बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान आई। चुनाव आयोग ने नागरिकता साबित करने के लिए 11 दस्तावेजों की सूची जारी की, जिसमें आधार कार्ड शामिल नहीं था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नागरिकता का निर्धारण गृह मंत्रालय का कार्य है, न कि चुनाव आयोग का। इस निर्णय ने आधार कार्ड की पहचान के रूप में भूमिका को स्पष्ट किया है।
 

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग के दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए कहा कि आधार कार्ड को नागरिकता का निर्णायक प्रमाण नहीं माना जा सकता। यह टिप्पणी बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान आई।


चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान नागरिकता साबित करने के लिए 11 दस्तावेजों की एक सूची जारी की, जिसमें आधार कार्ड शामिल नहीं था। जब इस पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई, तो आयोग ने कहा कि "आधार केवल पहचान का एक साधन है, नागरिकता का प्रमाण नहीं।"


सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने इस दलील को स्वीकार किया। पीठ ने स्पष्ट किया कि नागरिकता का निर्धारण चुनाव आयोग का कार्य नहीं है, बल्कि यह गृह मंत्रालय का कार्य है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आधार अधिनियम, 2016 की धारा 9 यह स्पष्ट करती है कि आधार संख्या अपने आप में नागरिकता या निवास का प्रमाण नहीं है।


याचिकाकर्ताओं ने यह सवाल उठाया कि आधार कार्ड, जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार एक स्वीकार्य पहचान दस्तावेज है, फिर भी इसे SIR के लिए क्यों नहीं माना जा रहा है। चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने बताया कि आधार कार्ड केवल पहचान की पुष्टि करता है, न कि नागरिकता की।


यह मामला बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण से जुड़ा था, जिसमें चुनाव आयोग का उद्देश्य गैर-नागरिकों के नाम हटाना था। हालांकि, आधार कार्ड को सूची से बाहर रखने के कारण विवाद उत्पन्न हुआ।


कोर्ट ने गृह मंत्रालय की भूमिका को नागरिकता के मुद्दों के निर्धारण में महत्वपूर्ण बताया और यह स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग इस मामले में अंतिम प्राधिकरण नहीं है। साथ ही, कोर्ट ने SIR अभ्यास की टाइमिंग पर भी सवाल उठाया कि यह चुनाव से ठीक पहले क्यों चुनी गई।


यह निर्णय भारत में नागरिकता और पहचान के दस्तावेजों की भूमिका पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालता है, और यह स्पष्ट करता है कि आधार कार्ड, पहचान के लिए एक महत्वपूर्ण साधन होने के बावजूद, नागरिकता का एकमात्र या निर्णायक प्रमाण नहीं है।