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सुप्रीम कोर्ट ने राजोआणा की फांसी पर केंद्र से पूछे कड़े सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआणा की फांसी पर केंद्र सरकार से कड़े सवाल पूछे हैं। अदालत ने यह जानना चाहा कि जब इस मामले को गंभीर अपराध माना गया है, तो राजोआणा को अब तक फांसी क्यों नहीं दी गई। सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने जल्द जवाब देने का आश्वासन दिया। राजोआणा की ओर से पेश वकील ने उनकी लंबी जेल अवधि और दया याचिका पर केंद्र की चुप्पी पर सवाल उठाए। जानें इस मामले में अदालत ने क्या निर्देश दिए हैं।
 

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में उठे सवाल

नई दिल्ली - पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी बलवंत सिंह राजोआणा की फांसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से गंभीर सवाल पूछे। अदालत ने यह जानना चाहा कि जब सरकार ने इस मामले को गंभीर अपराध माना है, तो राजोआणा को अब तक फांसी क्यों नहीं दी गई?


जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस एनवी अंजारिया और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने सुनवाई के दौरान केंद्र से कहा, "आपने अब तक उसे फांसी क्यों नहीं दी? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? कम से कम हमने तो फांसी पर रोक नहीं लगाई।" अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि वह इस पर जल्द जवाब देंगे। अदालत ने मामले की सुनवाई को 15 अक्टूबर तक टालते हुए स्पष्ट किया कि अगली तारीख पर केंद्र का यह तर्क स्वीकार नहीं होगा कि उसे और समय चाहिए।


राजोआणा की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि वह 29 साल से जेल में हैं और 15 साल से फांसी की सजा काट रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछली बार कोर्ट ने यह आधार नहीं माना कि दया याचिका राजोआणा ने नहीं बल्कि गुरुद्वारा समिति ने दायर की थी। रोहतगी ने कहा कि प्रावधानों के अनुसार याचिका कौन दायर करता है, इससे फर्क नहीं पड़ता। मामला इतने लंबे समय से लंबित है और ढाई साल बीत जाने के बाद भी केंद्र ने कोई निर्णय नहीं लिया। अदालत को बताया गया कि जनवरी 2024 में चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की अगुवाई वाली विशेष बेंच ने केंद्र को आखिरी मौका देते हुए निर्देश दिया था कि वह दया याचिका पर निर्णय ले। आदेश में कहा गया था कि यदि केंद्र विफल रहता है तो अदालत स्वयं अंतिम फैसला करेगी।


यह ध्यान देने योग्य है कि 31 अगस्त 1995 को चंडीगढ़ सचिवालय परिसर में हुए आत्मघाती बम धमाके में तत्कालीन पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 अन्य लोगों की जान गई थी। राजोआणा इस साजिश का हिस्सा पाए गए थे। 27 जुलाई 2007 को सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें IPC की धारा 302, 307, 120-बी और विस्फोटक अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी ठहराकर फांसी की सजा सुनाई थी।