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सुप्रीम कोर्ट ने सेना के ईसाई अधिकारी की बर्खास्तगी को दी मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट ने सेना के ईसाई अधिकारी सैमुअल कमलेसन की बर्खास्तगी को सही ठहराते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि उनका आचरण गंभीर अनुशासनहीनता है। सैमुअल ने रेजिमेंट की धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने से मना किया था, जिसके चलते उन्हें बर्खास्त किया गया। जानें इस मामले की पूरी कहानी और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पीछे के तर्क।
 

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

नई दिल्ली। एक ईसाई अधिकारी की बर्खास्तगी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राहत देने से इनकार कर दिया। भारतीय सेना से बर्खास्त किए गए सैमुअल कमलेसन ने अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी थी। उन पर आरोप था कि उन्होंने अपनी तैनाती के स्थान पर रेजिमेंट की धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने से मना कर दिया था, जिसके चलते उन्हें बर्खास्त किया गया।


सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची शामिल थे, ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि वह सेना के लिए उपयुक्त नहीं हैं। कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि यह आचरण गंभीर अनुशासनहीनता है, जिसे सेना जैसी संस्था में सहन नहीं किया जा सकता। यह मामला 2022 का है।


सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि सैमुअल ने अपने सहकर्मियों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि सैमुअल को पूजा में शामिल नहीं किया जा रहा था, लेकिन उनका धार्मिक अहंकार इतना बड़ा था कि वह दूसरों की भावनाओं को समझने में असमर्थ थे। इसके बाद, बेंच ने उनकी बर्खास्तगी को सही ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी।


सैमुअल कमलेसन 2017 में थर्ड कैवेलरी रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट बने थे। उनकी यूनिट में मंदिर और गुरुद्वारा था, जहां हर हफ्ते धार्मिक परेड होती थी। वह अपने सैनिकों के साथ वहां जाते थे, लेकिन पूजा, हवन या आरती के दौरान मंदिर के अंदर जाने से मना करते थे। उनका कहना था कि उनकी ईसाई मान्यता इसकी अनुमति नहीं देती। उन्होंने आरोप लगाया कि एक कमांडेंट उन पर लगातार दबाव डालता था, जिससे मामला बढ़ा। सेना ने कहा कि उन्होंने कई बार समझाने के बावजूद रेजिमेंटल परेड में पूरी तरह से भाग नहीं लिया, जो अनुशासनहीनता का स्पष्ट संकेत था। लंबे समय तक चली जांच के बाद, उन्हें 2022 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।