सुप्रीम कोर्ट में बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सुनवाई जारी
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि उसे विशेष गहन पुनरीक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कुछ प्रारंभिक आपत्तियां हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग द्वारा की जा रही प्रक्रिया संविधान के तहत आवश्यक है।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाला बागची की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता के वकील गोपाल एस ने कहा कि यह मतदाता सूची का पुनरीक्षण है, जिसमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 का प्रावधान लागू होता है। उन्होंने बताया कि नियमित पुनरीक्षण और गहन पुनरीक्षण में अंतर है। गहन पुनरीक्षण में पूरी मतदाता सूची को मिटा दिया जाता है, जबकि संक्षिप्त पुनरीक्षण में केवल छोटे संशोधन किए जाते हैं।
जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा कि चुनाव आयोग का कार्य संविधान के अनुसार अनिवार्य है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछली बार 2003 में ऐसा किया गया था और आयोग के पास इसके आंकड़े हैं। इसलिए, आयोग को फिर से इस पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि आयोग से यह कार्य कब करने की अपेक्षा की जाती है। जस्टिस जॉयमाला बागची ने कहा कि क्या धारा 21 की उपधारा 3 इस प्रक्रिया में शामिल है। उनका मानना है कि यह उपधारा चुनाव आयोग को गहन प्रक्रिया को अंजाम देने का अधिकार देती है।
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल एस ने कहा कि उपधारा 1 सर्वव्यापी है, जबकि उपधारा 2 सारांश है और 3 गहन है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि विधायिका ने दो अलग-अलग प्रावधान क्यों बनाए।
इससे पहले चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने बताया कि याचिकाओं पर उनकी प्रारंभिक आपत्तियां हैं।
नई याचिकाओं का दायर होना
बिहार में चुनाव से पहले एसआईआर कराने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ विपक्षी दलों की कई नई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। इनमें कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना, समाजवादी पार्टी, झामुमो, सीपीआई और सीपीआई (एमएल) के नेताओं की संयुक्त याचिका शामिल है।