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सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संदर्भ: राज्यपाल की शक्तियों पर उठे सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा भेजे गए संदर्भ पर अपना आदेश सुरक्षित रखा है, जिसमें राज्यपाल और राष्ट्रपति द्वारा विधेयकों की मंजूरी की प्रक्रिया पर चर्चा की गई है। इस संदर्भ में संविधान के अनुच्छेद 200 और 201 से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए गए हैं। सुनवाई के दौरान, अदालत ने स्पष्ट किया कि वह केवल संवैधानिक प्रश्नों पर राय देगी। राष्ट्रपति ने इस संदर्भ में 14 महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे हैं, जो राज्यपाल की शक्तियों और विधेयकों पर विचार करने की समयसीमा से संबंधित हैं।
 

संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत सुरक्षित आदेश

गुरुवार को, सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा भेजे गए संदर्भ पर अपना आदेश सुरक्षित रखा। यह संदर्भ संविधान के अनुच्छेद 200 और 201 से संबंधित है, जिसमें राज्यपाल और राष्ट्रपति द्वारा राज्य विधानसभाओं से पारित विधेयकों को मंजूरी या अस्वीकार करने की प्रक्रिया और समयसीमा पर सवाल उठाए गए हैं।


पांच जजों की पीठ ने की सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदुरकर की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के लिए दस दिन निर्धारित किए। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने केंद्र का पक्ष रखा, जबकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने विपक्षी शासित राज्यों जैसे तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तेलंगाना, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की आपत्तियों का विरोध किया।


संविधानिक प्रश्नों पर ही देगी राय

सुनवाई के दौरान, अदालत ने स्पष्ट किया कि वह तमिलनाडु के राज्यपाल के निर्णय की वैधता की समीक्षा नहीं करेगी, बल्कि केवल संवैधानिक प्रश्नों पर अपनी राय देगी। कुछ राज्यों ने तर्क किया कि राज्यपाल के हालिया निर्णय में इन प्रश्नों का उत्तर निहित है, इसलिए संदर्भ अनावश्यक है।


राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी थी राय

राष्ट्रपति मुर्मू ने मई में अनुच्छेद 143(1) के तहत सुप्रीम कोर्ट से यह जानने के लिए राय मांगी थी कि क्या राज्यपाल और राष्ट्रपति द्वारा विधेयकों पर विचार करते समय कोई न्यायिक समयसीमा निर्धारित की जा सकती है। यह कदम तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा विधेयकों को लंबे समय तक रोके रखने के विवाद के बाद उठाया गया था।


राज्यपाल की शक्तियों पर उठे सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि यदि राज्यपाल विधेयकों को विधानसभा को लौटाए बिना अनिश्चितकाल तक रोके रख सकते हैं, तो यह व्यवस्था निर्वाचित सरकार को राज्यपाल की इच्छा पर निर्भर बना देगी, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।


राष्ट्रपति ने पूछे थे 14 महत्वपूर्ण प्रश्न

राष्ट्रपति ने अपने पांच पन्नों के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट से 14 प्रश्न पूछे थे, जिनमें यह स्पष्ट करने को कहा गया कि अनुच्छेद 200 और 201 के तहत राज्यपाल और राष्ट्रपति को कितनी समयसीमा में कार्रवाई करनी चाहिए और क्या वे इस दौरान विवेकाधिकार का प्रयोग कर सकते हैं।