सोनिया गांधी को मिली बड़ी राहत, 24 साल पुरानी याचिका खारिज
दिल्ली अदालत का फैसला
कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए एक महत्वपूर्ण समाचार सामने आया है। दिल्ली की एक अदालत ने उनके खिलाफ दायर 24 साल पुरानी याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका इस आरोप के साथ दायर की गई थी कि सोनिया गांधी ने भारतीय नागरिकता मिलने से पहले ही अपना नाम मतदाता सूची में शामिल करवा लिया था, जो कि एक अपराध माना जाता है।इस मामले की जड़ें 1980 के दशक में हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता रमेश चंद ने यह शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सोनिया गांधी ने 1980 में दिल्ली की मतदाता सूची में "गलत तरीके से" अपना नाम शामिल किया, जबकि उन्हें भारत की आधिकारिक नागरिकता 30 अप्रैल, 1983 को मिली थी। याचिका में कहा गया था कि यह विदेशी अधिनियम और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन है।
यह मामला पहली बार 2001 में अदालत में पेश किया गया था। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट तमन्ना खुराना ने कई कारणों से इस याचिका को खारिज कर दिया। जज ने कहा कि जिस घटना के लिए शिकायत की गई है, वह 1980 की है, जबकि केस 21 साल बाद 2001 में दायर किया गया। इतनी लंबी देरी की कोई ठोस वजह नहीं बताई गई।
अदालत ने यह भी कहा कि सोनिया गांधी एक सांसद रही हैं, और ऐसे मामलों में उन पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार से विशेष मंजूरी की आवश्यकता होती है, जो इस मामले में नहीं ली गई। इन तर्कों के आधार पर अदालत ने फैसला सुनाया कि यह केस आगे सुनवाई के लायक नहीं है और इसे खारिज किया जाता है। इस निर्णय से सोनिया गांधी के खिलाफ चल रहा एक बड़ा कानूनी विवाद समाप्त हो गया है।