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हरियाणा के सरपंच चुनाव में सुप्रीम कोर्ट की दखलंदाजी से उठे सवाल

हरियाणा के पानीपत जिले के बुवाना लक्खू गांव में सरपंच चुनाव के परिणामों में सुप्रीम कोर्ट की दखलंदाजी ने चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। पहले विजेता घोषित कुलदीप सिंह को चुनौती देने वाले मोहित कुमार ने कानूनी लड़ाई लड़ी, जिसके बाद वोटों की दोबारा गिनती में उन्हें विजयी घोषित किया गया। यह घटना चंडीगढ़ के मेयर चुनाव से भी जुड़ी है, जहां चुनाव अधिकारी ने विवादास्पद तरीके से मतपत्रों को अवैध घोषित किया। क्या ईवीएम से चुनावों में गड़बड़ी संभव है? जानें इस मामले की पूरी कहानी।
 

चुनाव में गड़बड़ी का मामला

हरियाणा के पानीपत जिले के बुवाना लक्खू गांव में सरपंच चुनाव के परिणामों में सुप्रीम कोर्ट की दखलंदाजी ने चंडीगढ़ के मेयर चुनाव की याद दिला दी है। 30 जनवरी 2024 को, राष्ट्रपति महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर, चुनाव अधिकारी अनिल मसीह ने आठ मतपत्रों को अवैध घोषित कर भाजपा के उम्मीदवार को विजयी घोषित किया, जबकि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पार्षदों की संख्या भाजपा से अधिक थी। अनिल मसीह को वोटों में गड़बड़ी करते हुए सीसीटीवी में देखा गया। बाद में, तत्कालीन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले की सुनवाई की और निर्णय पलटा, जिसके परिणामस्वरूप आप का मेयर घोषित हुआ।


पानीपत के बुवाना लक्खू गांव के सरपंच चुनाव में भी कुछ ऐसा ही हुआ। इस बार वोटिंग ईवीएम के माध्यम से हुई थी, जो 33 महीने पहले संपन्न हुई थी। कुलदीप सिंह को पहले विजेता घोषित किया गया था, लेकिन उनके प्रतिद्वंद्वी मोहित कुमार ने कानूनी लड़ाई शुरू की। अंततः सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता में वोटों की दोबारा गिनती हुई, जिसमें मोहित को 51 वोट अधिक मिले और उन्हें विजयी घोषित किया गया। यह सोचने वाली बात है कि ईवीएम से गिनती में कैसे गड़बड़ी हुई कि हारने वाले उम्मीदवार को विजयी बना दिया गया। यदि सरपंच चुनाव में ईवीएम से ऐसी गड़बड़ी हो सकती है, तो क्या बड़े चुनावों में भी ऐसा संभव नहीं है?