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हरियाणा सरपंच चुनाव विवाद का सुप्रीम कोर्ट से हल

हरियाणा के बुआना लाखु गांव में सरपंच चुनाव विवाद का अंत सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हुआ है। तीन सालों तक चले इस विवाद में मोहित मलिक को 51 वोटों से विजेता घोषित किया गया। जानें इस फैसले के पीछे की कहानी और गांव में राजनीतिक हलचल के बारे में। क्या यह फैसला पंचायत चुनावों की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है? पढ़ें पूरी जानकारी।
 

हरियाणा सरपंच चुनाव विवाद का अंत

हरियाणा सरपंच चुनाव विवाद: सुप्रीम कोर्ट का फैसला तीन साल बाद आया, पानीपत जिले के समालखा ब्लॉक के बुआना लाखु गांव में 2022 के पंचायत चुनाव के बाद से सरपंच पद को लेकर विवाद चल रहा था। इस चुनाव में मोहित मलिक और कुलदीप मलिक के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा थी।


गिनती के दौरान बूथ संख्या 69 पर मोहित के वोट गलती से कुलदीप के खाते में जोड़ दिए गए, जिसके कारण कुलदीप को विजेता घोषित किया गया। मोहित ने इस गड़बड़ी की आशंका जताते हुए दोबारा गिनती की मांग की, जिसमें उनके 51 वोट अधिक निकले।


कोर्ट में मामला और गिनती का संघर्ष

मामला कोर्ट में पहुंचा, गिनती कई बार रुकी


मोहित को भी विजेता का प्रमाण पत्र मिला, लेकिन कुलदीप ने इस निर्णय को चुनौती दी। मामला पहले पानीपत कोर्ट, फिर ऊपरी अदालत और अंततः हाई कोर्ट तक पहुंचा। कई बार गिनती के आदेश हुए, लेकिन हर बार रोक लगती रही। इस बीच कुलदीप सरपंच के रूप में कार्य करते रहे।


सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला

मोहित ने हार नहीं मानी और अंततः सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 7 अगस्त को हुई अंतिम गिनती में मोहित को 1051 और कुलदीप को 1000 वोट मिले। सुप्रीम कोर्ट ने मोहित को 51 वोटों से विजेता घोषित किया।


गांव में राजनीतिक हलचल

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद गांव में हलचल


सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गांव में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि मोहित मलिक को सरपंच पद की जिम्मेदारी सौंपी जाए। यह निर्णय न केवल बुआना लाखु गांव के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि हरियाणा में पंचायत चुनावों की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है।


मोहित ने कहा कि यह न्याय की जीत है और वह गांव के विकास के लिए ईमानदारी से काम करेंगे। वहीं, कुलदीप ने फैसले को स्वीकार करते हुए कहा कि वह कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करते हैं।