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हिंदी दिवस पर विशेष कविताएं: मन को छू लेने वाली रचनाएं

हर साल 14 सितंबर को मनाए जाने वाले हिंदी दिवस के अवसर पर, हम आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं कुछ अद्भुत कविताएं। ये कविताएं न केवल हिंदी भाषा के महत्व को दर्शाती हैं, बल्कि इसे मनाने का एक खास तरीका भी प्रदान करती हैं। इस लेख में, आप जानेंगे कि कैसे ये कविताएं बच्चों, छात्रों और शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक हो सकती हैं। हिंदी दिवस 2025 के लिए इन कविताओं को याद करके आप इस दिन को और भी खास बना सकते हैं।
 

हिंदी दिवस पर कविताओं का महत्व

हिंदी दिवस पर कविताएं: इस दिन को खास बनाएं इन अद्भुत कविताओं के साथ! हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है, यह वह दिन है जब हिंदी को देवनागरी लिपि में आधिकारिक मान्यता प्राप्त हुई। यह हमारे लिए गर्व का क्षण है। इसके बाद से हिंदी को सरकारी कार्यों में शामिल किया गया, जिससे लोगों में इसकी सराहना और प्रेम बढ़ा है।


हिंदी केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज यह दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है। हिंदी दिवस के अवसर पर स्कूलों और कॉलेजों में कविता पाठ, भाषण, निबंध और अन्य प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। इस खास दिन के लिए हम आपके लिए कुछ सरल और भावनात्मक कविताएं प्रस्तुत कर रहे हैं, जो बच्चों, छात्रों और शिक्षकों के लिए उपयुक्त हैं।


हिंदी दिवस 2025 के लिए विशेष कविताएं

हिंदी दिवस 2025 (13 सितंबर 2025) को अपने स्कूल या कॉलेज में और भी खास बनाने के लिए इन कविताओं को आसानी से याद करें। इनमें सूरदास, अटल बिहारी वाजपेयी और मैथिली शरण गुप्त जैसे महान कवियों की सरल और भावपूर्ण रचनाएं शामिल हैं।


भाषा की मधुरता - सूरदास
हिंदी भाषा की मूरत प्यारी,
सबके मन की करती है सवारी।
ये गीतों की माला है,
ये भावों की छाला है।
इसकी मिठास में जो खो जाए,
वो जीवन में रंग लाए।
हिंदी है जीवन की धड़कन,
इसे अपनाएं हम सभी जन।


गूंजी हिंदी विश्व में - अटल बिहारी वाजपेयी
गूंजी हिंदी विश्व में,
स्वप्न हुआ साकार,
राष्ट्र संघ के मंच से,
हिंदी का जयकार।
हिंदी हिंदी में बोला,
देश स्वभाषा-प्रेम,
विश्व अचरज से डोला।
कह कैदी कविराय,
मेम की माया टूटी,
भारत माता धन्य,
स्नेह की सरिता फूटी!


करो अपनी भाषा पर प्यार - मैथिली शरण गुप्त
करो अपनी भाषा पर प्यार,
जिसके बिना मूक रहते तुम, रुकते सब व्यवहार।
जिसमें पुत्र पिता कहता है, पत्नी प्राणाधार।
और प्रकट करते हो जिसमें तुम निज निखिल विचार।
बढ़ाओ बस उसका विस्तार,
करो अपनी भाषा पर प्यार।
भाषा बिना व्यर्थ ही जाता ईश्वरीय भी ज्ञान,
इन दानों से बहुत बड़ा है ईश्वर का यह दान।
असंख्यक हैं इसके उपकार,
करो अपनी भाषा पर प्यार।
यही पूर्वजों का देती है तुमको ज्ञान-प्रसाद,
और तुम्हारा भी भविष्य को देगी शुभ संवाद।
बनाओ इसे गले का हार,
करो अपनी भाषा पर प्यार।


मेरी हिंदी प्यारी है
मेरी हिंदी प्यारी है,
सबसे न्यारी न्यारी है।
बोलूं जब भी हिंदी मैं,
मन में खुशियां सारी हैं।
ये मेरी पहचान बनी,
इसमें अपनी जान बनी।
गर्व मुझे इस भाषा पर,
ये तो मेरी शान बनी।


मेरी हिंदी - अटल बिहारी वाजपेयी
मेरी हिंदी मेरा अभिमान है,
मेरी मातृभूमि का सम्मान है।
जो बोले इसे दिल से प्यारा,
उसे देखता हर देशवासी नजारा।
हिंदी है भारत की जान,
इसकी शक्ति का नहीं कोई प्रमाण।
इसे सहेजना हमारा फर्ज है,
इसकी रक्षा करना हमारा धर्म है।


एक डोर में सबको बांधती वह हिंदी है - गिरिजाकुमार माथुर
एक डोर में सबको जो है बांधती,
वह हिंदी है।
हर भाषा को जो सगी बहन मानती,
वह हिंदी है।
भरी-पूरी हों सभी बोलियां,
यही कामना हिंदी है।
गहरी हो पहचान आपसी,
यही साधना हिंदी है।
सौत विदेशी रहे ना रानी,
यही भावना हिंदी है।
तत्सम, तद्भव, देशी, विदेशी,
सब रंगों को अपनाती।
जैसे आप बोलना चाहें,
वही मधुर, वह मन भाती।