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हुमायूं कबीर के बेटे की गिरफ्तारी से पश्चिम बंगाल की राजनीति में हलचल

पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नया विवाद सामने आया है, जब विधायक हुमायूं कबीर के बेटे गुलाम नबी आजाद को पुलिस ने हिरासत में लिया। यह मामला उनके निजी सुरक्षा अधिकारी के साथ कथित मारपीट से जुड़ा है। घटना ने स्थानीय सुरक्षा चिंताओं को और बढ़ा दिया है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके राजनीतिक प्रभावों के बारे में।
 

मुर्शिदाबाद में विवादास्पद मामला


मुर्शिदाबाद: पश्चिम बंगाल की राजनीतिक पार्टी जनता उन्नयन पार्टी (JUP) के संस्थापक और भरतपुर के विधायक हुमायूं कबीर एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार उनका नाम उनके परिवार से जुड़े एक गंभीर मामले में आया है। पुलिस ने उनके बेटे गुलाम नबी आजाद, जिसे रॉबिन के नाम से जाना जाता है, को निजी सुरक्षा अधिकारी (PSO) के साथ कथित मारपीट के आरोप में हिरासत में लिया है।


यह घटना शनिवार सुबह की बताई जा रही है। हुमायूं कबीर के PSO कांस्टेबल जुम्मा खान ने साक्तिपुर थाने में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में कहा गया है कि जब उन्होंने छुट्टी की मांग की, तो रॉबिन ने गुस्से में आकर उनके साथ हाथापाई की। यह घटना हुमायूं कबीर के ग्राउंड फ्लोर कार्यालय में हुई, जहां कई स्थानीय लोग मौजूद थे।


शिकायत के बाद, साक्तिपुर पुलिस की टीम तुरंत हुमायूं कबीर के निवास पर पहुंची और पूछताछ की। जांच के दौरान मुख्य आरोपी रॉबिन को हिरासत में लिया गया। पुलिस के सूत्रों के अनुसार, मामले की गहन जांच चल रही है और आगे की कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया के अनुसार की जाएगी।


तृणमूल कांग्रेस से निकाले जाने के बाद की स्थिति

तृणमूल कांग्रेस से निकाला गया


हाल के दिनों में, हुमायूं कबीर अपनी नई पार्टी जनता उन्नयन पार्टी के गठन और मुर्शिदाबाद में धार्मिक मुद्दों पर सक्रियता के कारण चर्चा में रहे हैं। पहले तृणमूल कांग्रेस से निलंबित होने के बाद, उन्होंने स्वतंत्र राजनीतिक पहल शुरू की है। हालांकि, यह नया मामला उनके परिवार और राजनीतिक छवि पर सवाल खड़ा कर रहा है।


स्थानीय सुरक्षा चिंताएं

मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद में हिंदू डरे हुए हैं


स्थानीय निवासियों का कहना है कि इलाके में पहले से ही सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंताएं हैं, और ऐसे मामले कानून-व्यवस्था की स्थिति को और जटिल बना सकते हैं। पुलिस ने फिलहाल किसी भी टिप्पणी से इनकार किया है, लेकिन जांच जारी है। यह घटना पश्चिम बंगाल की राजनीति में मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले की गतिविधियों पर नजर रखने वालों के लिए एक नया मोड़ लेकर आई है। आगे क्या होता है, यह देखना दिलचस्प होगा।