हेमंत सोरेन की पश्चिम बंगाल में राजनीतिक रणनीति
पश्चिम बंगाल पर ध्यान केंद्रित
बिहार में प्रयासों के बाद, हेमंत सोरेन अब पश्चिम बंगाल पर ध्यान दे रहे हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) का विस्तार झारखंड से बाहर करने की उनकी योजना में बिहार, बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। उन्होंने बिहार में कई प्रयास किए, यहां तक कि दो सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा भी जताई, लेकिन कांग्रेस और तेजस्वी यादव ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया। अब, वे झारखंड में अपनी स्थिति को मजबूत करने की योजना बना रहे हैं, लेकिन फिलहाल उनका ध्यान पश्चिम बंगाल पर है। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने ममता बनर्जी की पार्टी से संपर्क किया है और तृणमूल कांग्रेस के साथ सहयोग की संभावना पर विचार कर रहे हैं।
पश्चिम बंगाल में आदिवासी जनसंख्या लगभग छह प्रतिशत है, और झारखंड की सीमा इस राज्य के दक्षिणी हिस्से से जुड़ती है। पुरुलिया और बांकुड़ा जैसे क्षेत्रों में आदिवासी आबादी अच्छी खासी है। उत्तर बंगाल में, जैसे दार्जिलिंग और कूचबिहार के आसपास, भी आदिवासियों की संख्या अधिक है। इस छह प्रतिशत में संथाल आदिवासियों की संख्या प्रमुख है, जिनके बीच हेमंत सोरेन ने हाल के समय में कई सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लिया है। हालांकि, वे अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अगर तृणमूल कांग्रेस के साथ तालमेल हो जाता है, तो यह उनके लिए फायदेमंद होगा। यह भी देखना होगा कि यदि ममता बनर्जी सहयोग के लिए तैयार नहीं होती हैं, तो क्या हेमंत सोरेन कांग्रेस के साथ गठबंधन करेंगे।