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हेमंत सोरेन ने पिता की श्राद्ध परंपरा का पालन करते हुए नेमरा में बिताए दिन

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पैतृक गांव नेमरा में अपने पिता शिबू सोरेन के श्राद्ध कर्म का पालन कर रहे हैं। उन्होंने संथाली परंपरा के अनुसार सभी रस्में निभाई हैं। इस दौरान, उन्होंने गांव के बुजुर्गों के साथ चर्चा की और भावुक पोस्ट भी साझा किया। जानें उनके अनुभव और भावनाएं इस विशेष समय में।
 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का श्राद्ध कर्म

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन वर्तमान में अपने पैतृक गांव नेमरा में हैं। वे अपने पिता और झारखंड आंदोलन के प्रमुख नेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन के बाद श्राद्ध कर्म की सभी रस्में संथाली परंपरा के अनुसार निभा रहे हैं।


गुरुवार को उन्होंने श्राद्ध के ‘तीन कर्म’ से संबंधित विधियों का पालन किया। इससे पहले, बुधवार की शाम को उन्होंने गांव के बुजुर्गों और परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर आगे के कर्मकांड जैसे तीन नहान, दस कर्म और अंत में पिंडदान पर चर्चा की। श्राद्ध का यह कर्मकांड 15-16 अगस्त को संपन्न होगा, और हेमंत सोरेन तब तक वहीं रहेंगे।


नेमरा, झारखंड की राजधानी से लगभग 60 किलोमीटर दूर, रामगढ़ जिले में स्थित है, जो पहाड़ियों और जंगलों से घिरा हुआ है। पांच अगस्त को इसी गांव में उन्होंने अपने पिता को मुखाग्नि दी थी।


उस समय उन्होंने संथाली रिवाज के अनुसार वही वस्त्र पहना था, जिससे दिवंगत पिता का कफन बना था। श्राद्ध संपन्न होने तक वह इसी वस्त्र में रहेंगे। पुरखों की परंपरा के अनुसार, मुखाग्नि देने वाला व्यक्ति ‘मुखिया’ कहलाता है और उसे दस दिनों तक सीमित दायरे में रहकर सभी विधि-विधान संपन्न करने होते हैं।


इस दौरान, वह गांव की सीमा से बाहर नहीं जाते हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इन नियमों का पालन कर रहे हैं। इसी बीच, राज्यपाल संतोष गंगवार भी गुरुवार को नेमरा पहुंचे, जहां उन्होंने दिवंगत शिबू सोरेन की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की और मुख्यमंत्री से मुलाकात की। राज्य का शासन फिलहाल दूर से चल रहा है, और मुख्यमंत्री आवश्यक निर्देश फोन पर दे रहे हैं। विभागों के वरिष्ठ अधिकारी आवश्यकतानुसार गांव पहुंचकर उनका मार्गदर्शन ले रहे हैं।


सोरेन ने अपने पिता को याद करते हुए सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट भी साझा किया। उन्होंने लिखा कि नेमरा की यह क्रांतिकारी और वीर भूमि, दादाजी की शहादत और बाबा के अथाह संघर्ष की गवाह है।


यहां के जंगलों, नालों-नदियों और पहाड़ों ने क्रांति की हर गूंज को सुना है- हर कदम, हर बलिदान को संजोकर रखा है। नेमरा की इस क्रांतिकारी भूमि को शत-शत नमन करता हूँ। वीर शहीद सोना सोबरन मांझी अमर रहें! झारखंड राज्य निर्माता वीर दिशोम गुरु शिबू सोरेन अमर रहें!