13 वर्षीय स्तास्या पांड्या ने घुड़सवारी में भारत का नाम रोशन किया
स्तास्या पांड्या की ऐतिहासिक उपलब्धि
मुंबई की 13 वर्षीय प्रतिभाशाली घुड़सवार, स्तास्या पांड्या, ने घुड़सवारी की दुनिया में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। उन्होंने FEI चिल्ड्रेन्स क्लासिक फाइनल्स - सिल्वर टूर के लिए क्वालिफाई कर लिया है, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।यह उपलब्धि बेंगलुरु के एम्बेसी इंटरनेशनल राइडिंग स्कूल में 11 से 14 सितंबर के बीच आयोजित चयन ट्रायल के दौरान प्राप्त हुई। स्तास्या ने अपने घोड़े 'कूगर डेस फीस' पर सवार होकर 110 सेंटीमीटर ऊंची 13 बाधाओं वाले कठिन कोर्स को सफलतापूर्वक पार किया।
उन्होंने पहले राउंड में बिना किसी गलती के इसे पूरा किया और फाइनल जंप-ऑफ राउंड में 43.63 सेकंड का समय निकालकर दूसरा स्थान प्राप्त किया। इस प्रतियोगिता में देशभर से 18 युवा राइडर्स ने भाग लिया।
इस शानदार प्रदर्शन के साथ, स्तास्या अब सिल्वर टूर (ओवरऑल) कैटेगरी में भारत की नंबर 1 राइडर बन गई हैं। खास बात यह है कि उन्होंने चारों राउंड में एक भी गलती नहीं की।
FEI चिल्ड्रेन्स क्लासिक 12 से 14 साल के युवा घुड़सवारों के लिए एक वार्षिक अंतरराष्ट्रीय शो-जंपिंग सीरीज है, जिसे 'जूनियर वर्ल्ड कप' भी कहा जाता है। यह युवा प्रतिभाओं को अपने देश से प्रतिस्पर्धा करने और वैश्विक फाइनल में पहुंचने का अवसर प्रदान करता है।
स्तास्या ने अपनी इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा, "देश के शीर्ष राइडर्स के साथ प्रतिस्पर्धा करना अद्भुत था। मैं अपने देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए बहुत खुश हूँ।" उन्होंने अपने कोच, घोड़े के देखभाल करने वालों, और अपने माता-पिता का धन्यवाद किया, जिन्होंने हमेशा उनका समर्थन किया।
स्तास्या का यह चयन न केवल उनकी मेहनत और प्रतिभा को दर्शाता है, बल्कि यह पूरे भारतीय घुड़सवारी खेल के लिए गर्व का क्षण है। अब जब वह FEI चिल्ड्रेन्स क्लासिक फाइनल्स की तैयारी कर रही हैं, तो उनके साथ पूरे देश की शुभकामनाएं हैं।