नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा: 10वीं बार मुख्यमंत्री बनने की तैयारी
बिहार की राजनीति में नया मोड़
पटना: बिहार की राजनीति एक बार फिर से बदलने वाली है। नीतीश कुमार 10वीं बार मुख्यमंत्री बनने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने लालू प्रसाद यादव के साथ कभी सहयोग किया, तो कभी उनके खिलाफ खड़े होकर सत्ता की बागडोर संभाली। नीतीश केवल एक नेता नहीं हैं, बल्कि वे राजनीतिक रणनीति के माहिर माने जाते हैं। जनता ने उन्हें हमेशा उनके अनुभव और भरोसे के लिए चुना है, लेकिन उनके निर्णयों ने कई बार सियासत में हलचल भी मचाई है।
बिहार में अक्सर कहा जाता है कि 'यहां राजनीति में कुछ भी निश्चित नहीं होता' और नीतीश कुमार इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। विपक्ष उन्हें 'पीएम' यानी 'पलटू मास्टर' कहकर चिढ़ाता रहा है, क्योंकि उन्होंने कई बार उन गठबंधनों को छोड़ा है, जिनके साथ उन्होंने सत्ता हासिल की थी। उनकी इस राजनीतिक शैली ने हर बार बिहार की दिशा को बदलकर नए समीकरण बनाए हैं।
नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर
1994 में नई पार्टी का गठन
नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा छात्र आंदोलन से शुरू हुई। 1994 में उन्होंने जनता दल छोड़कर जॉर्ज फर्नांडीस और ललन सिंह के साथ मिलकर समता पार्टी की स्थापना की। 1995 के चुनाव में उन्होंने वामपंथी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, जिससे वे राज्य की मुख्य राजनीति में शामिल हो गए।
1996 में एनडीए से जुड़ाव
1996 में समता पार्टी की असफलता के बाद, नीतीश ने वाम दलों से अलग होकर एनडीए के साथ गठबंधन किया। उनका यह सफर 2010 तक चला, लेकिन जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में पेश किया गया, तो उन्होंने यह गठबंधन तोड़ दिया।
2015 में महागठबंधन में वापसी
मोदी के खिलाफ रणनीति के तहत, 2015 में नीतीश ने लालू यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ा और सत्ता में लौटे। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर कार्रवाई शुरू होने के बाद, नीतीश ने एक बार फिर बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया।
2022 में महागठबंधन में वापसी
2020 में भाजपा के साथ सरकार बनाने के बाद, 2022 में उन्होंने चौंकाते हुए महागठबंधन में वापसी की। अब चर्चा है कि वे एक बार फिर एनडीए में लौट सकते हैं। यही कारण है कि 10वीं बार शपथ लेने से पहले बिहार की राजनीति उनकी अगली चाल को लेकर उत्सुक है।