तीन दिवसिय महाशिवरात्रि मेला का हुआ शुभारंभ, निकाली जाएगी भगवान शिव की बारात
बीजापुर , 25 फ़रवरी (हि.स.)। जिले के भोपालपटनम में स्थित प्राचीन शिव मंदिर में महाशिवरात्रि काे लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी है। महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी तीन दिवसीय मेला का आयोजन किया गया है, जो आज 25 फरवरी से 28 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान शिव-पार्वती विवाह एवं शोभायात्रा मेले के मुख्य आकर्षण हाेगा।
आज 25 फरवरी की सुबह मंदिर प्रांगण में मंडपाच्छादन और जलाभिषेक के साथ मेले का शुभारंभ हुआ।आज रात्री 8 बजे भगवान शिव की बारात निकाली जाएगी, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ते है। इस शिव मंदिर में तेलुगू परंपरानुसार प्रति वर्ष भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह पूरे विधि-विधान से संपन्न होता है।विदित हाे कि छत्तीसगढ़ के अंतिम छाेर पर पड़ाेसी राज्य तेलंगाना से सटा भोपालपटनम के इलाके में तेलुगू भाषी का प्रभाव स्पष्ट परिलक्षित हाेता है, जिसके परिणाम स्वरूप भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह तेलुगू परंपरानुसार संपन्न किए जाते हैं।
शिव मंदिर समिति द्वारा जारी नियत तीन दिवसिय कार्यक्रम का पहला दिन (25 फरवरी) - मेले की शुरुआत सुबह 9 बजे मंदिर प्रांगण में मंडपाच्छादन और जलाभिषेक के साथ प्रारंभ कर दिया गया है। रात 8 बजे शिवजी की बारात का स्वागत किया जाएगा। दूसरा दिन (26 फरवरी) - दूसरे दिन सुबह 4 बजे से 5:30 बजे तक मंदिर के गर्भगृह में विशेष अभिषेक का आयोजन किया जाएगा। इसके पश्चात, सुबह 10:30 बजे से हवन का कार्यक्रम प्रारंभ होगा, जिसमें श्रद्धालु अपनी आस्था के अनुसार भाग ले सकेंगे। दोपहर 1:30 बजे से शिव-पार्वती विवाह की रस्म को पारंपरिक तरीके से निभाया जाएगा। रात 8 बजे शोभायात्रा निकाली जाएगी, जिसमें शिवजी की सवारी को भ्रमण् करवाया जाएगा। तीसरा दिन (28 फरवरी) - मेले के अंतिम दिन यानी 28 फरवरी को शाम 7 बजे से शिव मंदिर समिति के द्वारा भंडारे का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करेंगे और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करेंगे।
उल्लेखनीय है कि भोपालपटनम के इस प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण वर्ष 1857 में तंजाउर परिवार द्वारा किया गया था। प्रारंभ में इस मंदिर में एक छोटा सा गर्भगृह था, जहां शिवलिंग की स्थापना की गई थी। समय के साथ इस मंदिर का विस्तार किया गया और वर्ष 1978 में इलाहाबाद से मूर्तियां लाकर यहां पारंपरिक तेलुगु रीति-रिवाज के अनुसार उनकी स्थापना और प्राण-प्रतिष्ठा की गई। इस पावन कार्य को संपन्न कराने के लिए विशेष रूप से ओडिशा और आंध्रप्रदेश से विद्वान पंडितों को आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने पूरे अनुष्ठान को विधिपूर्वक संपन्न करवाया गया था। मंदिर के जीर्णोद्धार में स्व. कृष्णा गुज्जा का नाम सबसे पहले आता है, इसके बाद केके. सिंह, रामवीर सिंह, और मारुति कापेवार का महत्वपूर्ण योगदान ये इस धार्मिक स्थल को भव्य स्वरूप प्रदान किया गया। वर्ष 1978 में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद 1980 से यहां महाशिवरात्रि के अवसर पर मेले की शुरुआत हुई, और तब से लेकर आज तक प्रति वर्ष इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। भोपालपटनम के इस ऐतिहासिक मेले में न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र से भी बड़ी संख्या में व्यापारी दुकान लगाकर शामिल हाेते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे