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दिल्ली दंगों की साजिश पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी

दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। पुलिस ने अदालत में CCTV फुटेज पेश किया, जिसमें दंगों की सुनियोजित साजिश का खुलासा हुआ। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि यह साजिश पूर्वोत्तर को अस्थिर करने के लिए थी। अदालत में प्रस्तुत किए गए सबूतों से यह भी स्पष्ट हुआ कि दंगों के दौरान कई स्थानों पर हिंसा भड़काई गई थी। जानें इस मामले में और क्या हुआ।
 

सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिकाओं की सुनवाई


दिल्ली दंगों से संबंधित एक महत्वपूर्ण मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और अन्य अभियुक्तों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई फिर से शुरू की। इस दौरान, दिल्ली पुलिस ने अपने तर्कों को मजबूत करने के लिए अदालत में CCTV फुटेज प्रस्तुत किया। पुलिस ने कहा कि यह हिंसा सामान्य विरोध का परिणाम नहीं थी, बल्कि यह एक सुनियोजित प्रयास था जो कई स्थानों पर एक साथ अशांति फैलाने के लिए किया गया था।


साजिश का उद्देश्य पूर्वोत्तर को अस्थिर करना

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सूर्यप्रकाश वी. राजू ने अदालत में बताया कि इस साजिश का मुख्य उद्देश्य केवल चक्का जाम करना नहीं था, बल्कि देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र को अस्थिर करना भी था। पुलिस का दावा है कि कुछ बयानों से यह स्पष्ट होता है कि असम को देश से अलग करने की योजना बनाई गई थी। राजू ने इसे एक "बड़ी राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने का प्रयास" बताया।


CCTV कैमरों को कवर करने का आरोप

ASG ने अदालत में कहा कि दंगों के दौरान एसिड, पेट्रोल बम, ईंट-पत्थर और डंडों का इस्तेमाल किया गया। कई स्थानों पर पुलिसकर्मियों पर भी हमले हुए। पुलिस ने यह भी बताया कि कुछ क्षेत्रों में CCTV कैमरों को पहले से कवर किया गया था ताकि उपद्रव और हमलों की फुटेज रिकॉर्ड न हो सके। एक पुलिसकर्मी की मौत का मामला भी अदालत में प्रस्तुत किया गया।


CCTV फुटेज का प्रदर्शन

चांदबाग क्षेत्र की CCTV क्लिपिंग अदालत में दिखाई गई। पुलिस के अनुसार, यदि कैमरे मौजूद होते, तो बड़ी हिंसा को अंजाम देना कठिन होता, इसलिए उन्हें नष्ट किया गया। राजू ने कहा कि यह साजिश कई स्थानों पर एक साथ हिंसा भड़काने के लिए थी, जिससे प्रशासनिक ढांचे को कमजोर किया जा सके।


चिकन नेक को निशाना बनाने की योजना

पुलिस ने आरोप लगाया कि यह पूरा नेटवर्क शांतिपूर्ण चक्का जाम के रूप में छिपा हुआ था। उनका कहना है कि योजनाओं में देश के विभिन्न हिस्सों को निशाना बनाना शामिल था, जिसमें "चिकन नेक" यानी सिलिगुड़ी कॉरिडोर से जुड़े क्षेत्र भी शामिल थे, जिन्हें भौगोलिक रूप से अत्यंत संवेदनशील माना जाता है।


बंगाल में दंगों से हुए नुकसान का विवरण

ASG ने पश्चिम बंगाल का उदाहरण देते हुए कहा कि मुर्शिदाबाद, हावड़ा, मालदा, नदिया और उत्तर 24 परगना में विरोध प्रदर्शन दंगों में बदल गए थे। पांच ट्रेनों में आगजनी, चार स्टेशनों पर तोड़फोड़ और 70 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ। 300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया और रेलवे ने 17 एफआईआर दर्ज कीं।