×

दिल्ली में पुलिस की तत्परता से बची एक युवक की जान

दिल्ली के पटेल नगर में एक महिला की चीख ने पुलिसकर्मियों को एक युवक की जान बचाने के लिए प्रेरित किया। हेड कांस्टेबल योगेश और कांस्टेबल अजय ने समय पर कार्रवाई करते हुए युवक को बचाया। जानें इस घटना के बारे में विस्तार से, जिसमें पुलिस की तत्परता और संवेदनशीलता का अद्भुत उदाहरण देखने को मिला।
 

पुलिस की संवेदनशीलता का उदाहरण


नई दिल्ली: दिल्ली के पटेल नगर में हाल ही में हुई एक घटना ने पुलिस की सतर्कता और मानवीय संवेदनशीलता को उजागर किया है। इस आमतौर पर शांत क्षेत्र में, दो पुलिसकर्मियों की नियमित गश्त एक आपात स्थिति में बदल गई। एक महिला की चीखों ने न केवल इलाके की शांति को भंग किया, बल्कि पुलिसकर्मियों को एक ऐसे दौड़ में डाल दिया, जिसका परिणाम एक युवक की जान बचाने के रूप में सामने आया।


घबराई मां की चीखें

रविवार की शाम लगभग सात बजे, हेड कांस्टेबल योगेश और कांस्टेबल अजय पटेल नगर में अपनी नियमित गश्त पर थे। अचानक, उन्हें एक महिला की चीख सुनाई दी। पहले तो यह समझना मुश्किल था कि आवाज कहां से आ रही है, लेकिन दोनों पुलिसकर्मी बिना समय गंवाए उस दिशा में बढ़े।


आपात स्थिति का सामना

जब वे गलियों से गुजरते हुए एक पांच मंजिला इमारत के सामने पहुंचे, तो वहां एक महिला अत्यंत घबराई हुई स्थिति में खड़ी थी। उसने बताया कि उसका 26 वर्षीय बेटा कमरे में बंद है और आत्महत्या करने की कोशिश कर रहा है। यह सुनकर दोनों अधिकारियों ने स्थिति की गंभीरता को तुरंत समझ लिया।


सीढ़ियों पर दौड़

हेड कांस्टेबल योगेश और कांस्टेबल अजय तेजी से तीन मंजिल ऊपर दौड़े। घर में तीन कमरे थे, और महिला की घबराहट के कारण सही कमरे तक पहुंचने में कठिनाई हुई। थोड़ी खोजबीन के बाद, एक कमरा अंदर से बंद मिला। बिना समय गंवाए, दोनों ने दरवाजा तोड़ने का निर्णय लिया और पूरी ताकत से धक्का देकर उसे खोल दिया।


खतरे का सामना

कमरे के अंदर का दृश्य भयावह था। युवक छत के पंखे से बेडशीट के सहारे लटका हुआ था और बेहोश था। कांस्टेबल अजय ने तुरंत उसके पैरों को ऊपर उठाकर गर्दन पर पड़ रहे दबाव को कम किया। इसी समय, हेड कांस्टेबल योगेश रसोई की ओर भागे और चाकू लेकर बेडशीट काटने लगे।


जीवन रक्षक कार्रवाई

जैसे ही बेडशीट काटी गई, युवक को नीचे लिटाया गया। कुछ ही क्षणों में उसकी सांसें चलने लगीं। पुलिसकर्मियों ने परिवार की मदद से उसे तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों ने बताया कि यदि थोड़ी भी देरी होती, तो उसकी जान बचाना मुश्किल था। इस त्वरित और साहसिक कार्रवाई ने एक मां को अपने बेटे को खोने से बचा लिया।