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साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में छात्रा के साथ गैंगरेप की घटना

दिल्ली की साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में एक 18 वर्षीय छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना ने सभी को चौंका दिया है। पीड़िता ने आरोप लगाया है कि होस्टल के कर्मचारियों ने उसकी मदद करने के बजाय उसे ही दोषी ठहराया। घटना के बाद, पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और संदिग्धों की पहचान के लिए कई टीमें गठित की हैं। जानें इस मामले में प्रशासन की भूमिका और पीड़िता के आरोपों के बारे में।
 

दिल्ली में गैंगरेप की घटना


दिल्ली समाचार: साउथ एशियन यूनिवर्सिटी की एक 18 वर्षीय छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना सामने आई है। छात्रा ने आरोप लगाया है कि होस्टल के कर्मचारियों ने लापरवाही बरती और उसकी मदद करने में बाधा उत्पन्न की। रविवार शाम को, चार अज्ञात व्यक्तियों ने विश्वविद्यालय परिसर में उसके साथ यह घिनौनी वारदात की।


एफआईआर में कहा गया है कि छात्रावास के कर्मचारियों ने उसकी मदद करने के बजाय, उसके बयान को खारिज कर दिया और उसे अपने परिवार को सूचित करने से रोका। इसके अलावा, उन्होंने उसे 'स्नान करने और कपड़े बदलने' की सलाह दी।


छात्रावास प्रशासन पर गंभीर आरोप


पीड़िता ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि छात्रावास प्रशासन ने उसकी पीड़ा को नजरअंदाज किया। उसने बताया कि छात्रावास प्रभारी ने उसे दोषी ठहराते हुए कहा कि 'लड़कियों के कई बॉयफ्रेंड होते हैं' और सुरक्षा की कमी के कारण वे 'लड़कों को अपने कमरों में ला सकती हैं।'


उसने यह भी आरोप लगाया कि उसकी बिगड़ती स्थिति के बावजूद, प्रभारी ने कोई मदद नहीं की और अधिकारियों से संपर्क करने के बजाय उसे 'नहाने और कपड़े बदलने' की सलाह दी।


घटना का विवरण और पुलिस की कार्रवाई


बीटेक की पहली वर्ष की छात्रा को धमकी भरे ईमेल और अश्लील संदेशों के बाद हॉस्टल छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। इसके बाद, रविवार रात को विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह केंद्र के पास चार लोगों ने उसका यौन उत्पीड़न किया। सामूहिक बलात्कार का मामला दर्ज किया गया है और दिल्ली पुलिस ने संदिग्धों की पहचान के लिए कई टीमें गठित की हैं। पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) अंकित चौहान ने पुष्टि की है कि भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें सामूहिक बलात्कार, अपहरण, गलत तरीके से रोकना और ज़हर देना शामिल हैं।


विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ गंभीर आरोप


पीड़िता की एफआईआर विश्वविद्यालय प्रशासन की प्रतिक्रिया को लेकर गंभीर सवाल उठाती है। घटना के तुरंत बाद, जब उसने छात्रावास प्रभारी से संपर्क किया, तो मौजूद एक डॉक्टर ने मामले की गंभीरता को समझाने की कोशिश की, लेकिन अधिकारियों ने उसकी शिकायत को खारिज कर दिया और अन्य छात्राओं पर भी असंबंधित आरोप लगाए।


एफआईआर के अनुसार, अधिकारियों ने उसे पुलिस से संपर्क करने या चिकित्सा सहायता लेने के बजाय 'नहाने और कपड़े बदलने' की सलाह दी। पीड़िता ने यह भी कहा कि उसे अपनी मां को वीडियो कॉल करने से भी रोका गया। उसने कहा, 'मैं अपनी माँ को अपने चोट के निशान दिखाना चाहती थी, लेकिन हॉस्टल प्रभारी और एक गार्ड मुझे रोक रहे थे।'