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विश्व मुद्रण जैसे आयोजनों से विद्यार्थियों के ज्ञान में होती वृद्धि : नरसी राम बिश्नोई

 




मुद्रण प्रौद्योगिकी विभाग में ‘विश्व मुद्रण दिवस’ मनाया गया

हिसार, 26 फरवरी (हि.स.)। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

के मुद्रण प्रौद्योगिकी विभाग में ‘विश्व मुद्रण दिवस’ मनाया गया। इसके उपलक्ष्य

में विभाग में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिताओं में विभाग

के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने इस आयोजन के लिए विभाग

को बधाई दी और कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से विद्यार्थियों के ज्ञान में वृद्धि

होती है। कुलसचिव डा. विजय कुमार ने भी आयोजकों को इस कार्यक्रम के लिए बधाई दी।

इस अवसर पर इस कार्यक्रम के संयोजक विभागाध्यक्ष डा. पंकज कुमार ने बताया कि

‘विश्व मुद्रण दिवस’ पूरे विश्व में हर वर्ष जोहान्स गुटेनबर्ग के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया

जाता है। जोहान्स गुटेनबर्ग को मैन ऑफ दा मिलेनियम के सम्मान से नवाजा गया था। यह अवार्ड

उनके मुद्रण उद्योग में उनकी महत्वपूर्ण व उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया था। कार्यक्रम के आयोजन सचिव डा. संजीव माथुर ने बताया कि इस दिवस पर विभाग में

विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। प्रतिभागियों ने रंगोली के माध्यम से महिला

सशक्तिकरण, नवीनतम तकनीकों व पर्यावरण संरक्षण को प्रदर्शित किया। दूसरी प्रतिस्पर्धा

में पैकेज डेवलेपमेंट में विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रकार के नवप्रवर्तनकारी पैकेज

को बना कर प्रदर्शित किया।

तीसरी प्रतिस्पर्धा में पोस्टर डिजाइन का आयोजन हुआ, जिसमें

प्रतिभागियों ने पोस्टर के माध्यम से विभिन्न प्रकार के मुद्रण संभावित संदेश प्रदर्शित

किए। चौथी प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने क्रियात्मक लोगो डिजाइन किया और अपने क्रियात्मक

कौशल का परिचय दिया। विभाग के सभी शिक्षकों ने अलग-अलग प्रतियोगिताओं में निर्णायकों

की भूमिका अदा की।रंगोली प्रतियोगिता में

गार्गी व खुशी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। पैकेज डेवलेपमेंट में तमन्ना तथा पोस्टर

प्रतियोगिता में नितिश ने प्रथम स्थान हासिल किया। लोगो डिजाइन में साहिल ने प्रथम

स्थान हासिल किया। इस अवसर पर प्रो. अम्बरीश पांडेय, डा. वंदना, डा. आरोहित, अभिषेक

व अन्य शिक्षकगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम की सफलता में हार्दिक, खुशी, लवनया, कुसुम,

अंशुला व जतिन का विशेष योगदान रहा।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर