छोटीकाशी मंडी शिवरात्रि नाट्य महोत्सव-2025...नाटकों की प्रभावशाली प्रस्तुति
मंडी, 25 फ़रवरी (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में नाट्य उत्सव के दूसरे दिन भी संस्कृति सदन में प्रभावशाली नाटकों का मंचन हुआ। इस अवसर पर नगर निगम के महापौर विरेंद्र भट्ट ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। उन्होंने कहा कि मंडी शहर रंगमंच के लिए उर्वरा भूमि है, यहां पर रंगमंच की जड़ें बहुत गहरे तक जमी हुई है, यही वजह है कि अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में भी नाटकों का अलग से मंचन हो रहा है। उन्होंने कहा कि मंडी के रंगकर्मियों के प्रोत्साहन के लिए वे अपने स्तर पर भी प्रयासरत हैं।
इस अवसर पर मानवीय रिश्तों की उलझन को लेकर पर्दों की उलझन नाटक का मंचन किया, जिसमें मुंबई से आए गगन प्रदीप और अतिथि भंडारी ने अभिनय किया। यह नाटक रिश्तों की उलझनों के बारे में थाए जिसमें यह दिखाया गया था कि कैसे हम अपनी सोच के अनुसार रिश्तों को उलझा देते हैं और कैसे उन्हें सुलझा सकते हैं। नाटक का निर्देशन विनोद लक्ष्मी कुमार ने किया, जबकि संगीत पंकज कुमार और लाइटिंग दीप कुमार ने संभाली थी। यह नाटक गगन प्रदीप और अतीत भंडारी के सशक्त अभिनय कीवहज से दर्शकों पर अपना प्रभाव छोडऩे में सफल रहा। वहीं नाटक बहुत ही अच्छी लाइटिंग, म्यूजिक और अभिनय का मिश्रण था, जिसने शिवरात्रि फेस्टिवल को चार चांद लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वहीं पर हिमाचल सांस्कृतिक शोध संस्थान व रंगमंडल सतोहल द्वारा प्रस्तुत कहानी इस मोड़ से का निर्देशन रंगकर्मी सीमा शर्मा द्वारा किया गया। मूलत: यह कहानी मोहन राकेश द्वारा लिखित मिस पाल से प्रेरित थी। जिसमें 50 के दशक की एक अविवाहित महिला की कहानी जो पुरुष प्रधान समाज में अपने आप को असंगत सा महसूस कर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में चली जाती है, जहां वह अपने लिए एक कॉटेज लेकर अपनी चित्रकला और संगीत का अभ्यास करती रहती है। दफ्तर के घुटन भरे वातावरण से अपने को दूर कर लेती है जहां उसकी शक्ल सूरत, पहनावे का मजाक बनता था । अचानक एक दिन उसे अपने दफ्तर का एक दोस्त जिससे वह अपनी बातें साझा करती रहती थी और जिसे उससे सहानुभूति मिलती थी वह उसे कुल्लू के रास्ते में मिल जाता है। वह अपने दोस्त यानी रंजीत को अपने घर ले आती है।
रंजीत उसका रहन-सहन उसकी दिनचर्या को देखता है उसे लगता है कि समाज कभी नहीं बदलता और वहां उसकी स्थिति दिल्ली से भिन्न नहीं थी जिसे वह सब कुछ छोड़छाड़ कर आई थी । जैसा जीवन वह चाहती थी क्या उसे वहां रहकर वैसा मिल पायाघ् कहानी में यह गाना बहुत ही सटीक बैठता है कुछ तो लोग कहेंगे...कहानी के माध्यम से मोहन राकेश ने उस समय की औरत की मनोदशा को दर्शाया है जब औरतें पुरुषों के साथ बैठकर काम करती थी। हालांकि रंजीत काफी हद तक उसे समझाता है कि इंसान जहां भी चला जाए उसे अच्छी और बुरी दोनों चीज मिलती हैं हर तरह की चीज़ उसके आसपास ही रहती हैं हमें परवाह किए बिना अपने गंतव्य की तरफ बढऩा चाहिए। लेकिन निवेदिता वहां कमजोर पड़ जाती है । आखिर में जब वह अपने दोस्त को छोडऩे बस स्टैंड आती है तो वह उसे यही कहती है कि दिल्ली जाकर दफ्तर में किसी को मत बताना कि वह तुम्हें मिली भी थी। और इस तरह से कहानी का समापन होता है एक गाने के साथ इस मोड़ से जाते हैं...।
नाटक में निवेदिता की भूमिका में सीमा शर्मा का अभिनय सराहनीय रहा। रंजीत की भूमिका में सचिन, लड़कियों की भूमिका में कामाक्षी, ओजस्वी तथा प्रकाश व्यवस्था व्योम शर्मा व संगीत कश्मीर सिंह द्वारा किया गया। इसके अलावा नव ज्याति कला मंच की ओर से सुरेंद्र वर्मा द्वारा लिखित मरणोंपरांत की प्रभवशाली प्रस्तुति ने दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ी । इस नाटक का निर्देशन मशहूर निर्देशक इंद्रपाल इंदू ने किया। वहीं पर आकार आकार थियेटर सोसायटी की ओर से मशहूर रूसा लेखक अंतोन चेखव लिखित कहानी का मंडयाली रूपांतरण दांदा आऊला डाक्टर की दीप कुमार के निर्देशन में बेहद मनोरंजक प्रस्तुति दी। और सबरंग कला मंच की ओर से मंडी जनपद के मशहूर लोकनाट्य बांठड़ा की प्रस्तुति प्रभावशाली रही।
जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी ने बताया कि इस तीन दिवसीय नाटय एवं शास्त्रीय नृत्य-गायन महोत्सव में मंडी जिला के कलाकारों को अपनी प्रतिभा को दिखाने का भरपूर अवसर मिलता है। वहीं पर इस बहाने रंगमंच विधा को भी प्रोत्साहन मिलता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा