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रक्षा मंत्री ने आईआईटी मंडी में स्वदेशी एआई-आधारित युद्ध रणनीतियों, एआई चिप्स और क्वांटम कंप्यूटिंग पर दिया जोर

 


मंडी, 24 फ़रवरी (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी ने अपने 16वें स्थापना दिवस के अवसर पर नवाचार और तकनीकी उत्कृष्टता के अपने सफर को याद किया। संस्थान ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), रोबोटिक्स, ड्रोन टेक्नोलॉजी, एआर-वीआर तकनीक, क्वांटम साइंस और सेमीकंडक्टर्स/चिपसेट्स के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य कर अपनी अलग पहचान बनाई है। राष्ट्रीय महत्व के इस संस्थान ने अत्याधुनिक शोध और विश्वस्तरीय प्रौद्योगिकी शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जो इसके आदर्श वाक्य स्केलिंग द हाइट्स को सार्थक करता है।

इस अवसर पर आईआईटी मंडी ने भारत की रक्षा और साइबर सुरक्षा क्षमता को बढ़ाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया। संस्थान ने 16-चैनल क्वांटम न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटर विकसित किया है, जो मिलिट्री-ग्रेड साइबर सुरक्षा अनुप्रयोगों के लिए तैयार किया गया है। यह तकनीक क्वांटम क्रिप्टोग्राफी के माध्यम से रक्षा संचार को साइबर खतरों और जासूसी से बचाने में मदद करेगी। यह पहल इंटरनेशनल ईयर ऑफ क्वांटम साइंस एंड टेक्नोलॉजी के अनुरूप है और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है। संस्थान भविष्य में 64-चैनल क्वांटम न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटर विकसित करने की योजना बना रहा है।

समारोह में प्रतिष्ठित हस्तियों की भागीदारी

कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, सीएसजेएम विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार गोकुल बुटेल, और रोवियल स्पेस (फ्रांस) के सीटीओ डॉ. अमित कुमार पांडेय विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इसके अलावा, दरंग विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री पुराण चंद ठाकुर भी कार्यक्रम में शामिल हुए। आईआईटी मंडी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) कंवलजीत सिंह ढिल्लों और संस्थान के निदेशक प्रो. लक्ष्मिधर बेहेरा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

अपने संबोधन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, तकनीक में हो रहे बदलावों में क्वांटम कंप्यूटिंग एक बड़ा उदाहरण है। पहले हमारे लिए सुपरकंप्यूटर ही तकनीक की ऊंचाई थे, लेकिन हाल ही में गूगल ने विलो नामक क्वांटम चिप लॉन्च की है। दावा किया गया है कि यह चिप मात्र पांच मिनट में उन गणनाओं को पूरा कर सकती है, जिनमें दुनिया के सबसे उन्नत सुपरकंप्यूटर को दस सेप्टिलियन साल (पूरे ब्रह्मांड की आयु से भी अधिक) लगेंगे। यह दिखाता है कि कैसे तकनीकी विकास हमारी अपेक्षाओं और क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक ले जाता है।

उन्होंने आगे कहा, आईआईटी मंडी के छात्रों से मैं कहना चाहता हूं कि अब भारत को अपनी खुद की एआई-आधारित युद्ध रणनीतियों की आवश्यकता है। हमें रक्षा क्षेत्र के लिए भारतीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चिप्स विकसित करने होंगे। साइबर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, हमें अपने स्वयं के फायरवॉल और सुरक्षा अवसंरचना विकसित करनी होगी।

रक्षा मंत्री ने संस्थान के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा आईआईटी मंडी के शोधकर्ता रोबोटिक्स, ड्रोन टेक्नोलॉजी और वर्चुअल रियलिटी जैसे क्षेत्रों में बेहतरीन काम कर रहे हैं। संस्थान के निदेशक की दूरदृष्टि और छात्रों की प्रतिभा को देखते हुए मुझे विश्वास है कि आईआईटी मंडी इन उभरती तकनीकों में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

आईआईटी मंडी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) कंवलजीत सिंह ढिल्लों ने हिमाचल प्रदेश की वीरता की परंपरा को याद करते हुए छात्रों से राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का आह्वान किया। उन्होंने ईमानदारी, निष्ठा और जिम्मेदारी को जीवन के प्रमुख सिद्धांत बताते हुए, हमेशा देश की शान को बनाए रखने की प्रेरणा दी।

आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मिधर बेहेरा ने कहा, आईआईटी मंडी ने हमेशा नवाचार, शोध और शिक्षा की सीमाओं को आगे बढ़ाया है। इस स्थापना दिवस पर, मैं मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार गोकुल बुटेल को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने पालमपुर में आईआईटी मंडी के सैटेलाइट कैंपस के लिए 125 एकड़ भूमि सुरक्षित करने में सहायता की। यह संस्थान के विस्तार और शैक्षणिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। मंडी हिल्स के भूगोलिक चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार की सहायता से ₹1,060 करोड़ की आधुनिक अधोसंरचना तैयार की जा चुकी है और वर्तमान में ₹660 करोड़ के अन्य विकास कार्य प्रगति पर हैं।

उन्होंने आगे कहा, अब क्वांटम एआई का समय आ चुका है, और आईआईटी मंडी इस क्षेत्र में नेतृत्व कर रहा है। हम इस साल 16-चैनल क्वांटम एआई कंप्यूटर पर काम कर रहे हैं और इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसके बाद, हम 64-चैनल क्वांटम एआई कंप्यूटर बनाने के लिए सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) से अनुदान प्राप्त करने की प्रक्रिया में हैं। यदि मंजूरी मिलती है, तो दो वर्षों में भारत का सबसे बड़ा क्वांटम कंप्यूटर आईआईटी मंडी में होगा।

नई पहलों की घोषणा

इस अवसर पर आईआईटी मंडी के गाइडेंस एंड काउंसलिंग सर्विसेज (GCS) का उद्घाटन किया गया, जो मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण से जुड़े मुद्दों को संबोधित करेगा। साथ ही, संस्थान के सेंटर फॉर कंटिन्यिंग एजुकेशन (CCE) ने अब तक 7,000 से अधिक प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया है और 1,000 से अधिक स्कूल छात्रों को आईआईटी मंडी के अनुसंधान प्रयोगशालाओं से परिचित कराया है।

सम्मान समारोह

समारोह के दौरान, संस्थान की यात्रा और उपलब्धियों को दर्शाने वाली एक वीडियो स्क्रीनिंग की गई। साथ ही, फाउंडेशन डे अवार्ड्स के तहत छात्रों, शिक्षकों, पूर्व छात्रों और कर्मचारियों को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। पुरस्कारों में यंग फैकल्टी फेलो अवार्ड, यंग अचीवर अवार्ड (फैकल्टी/एलुमनाई), स्टूडेंट्स एकेडमिक एक्सीलेंस अवार्ड, और स्टूडेंट्स टेक अवार्ड शामिल रहे।

आईआईटी मंडी के 16वें स्थापना दिवस ने यह साबित कर दिया कि संस्थान भारत की तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा