पश्चिमबंग हिंदी अकादमी ने मनाया अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस
कोलकाता, 2 अक्टूबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल सरकार के सूचना एवं संस्कृति विभाग के अंतर्गत पश्चिमबंग हिंदी अकादमी ने अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस पर अपने सभागार में विशेष आयोजन किया, जो तीन सत्रों में विभाजित था।
इस मौके पर कार्यक्रम समन्वयक रावेल पुष्प ने स्वागत वक्तव्य रखते हुए कहा कि मूल लेखक के साथ अनुवादकों को वो महत्व नहीं मिल पाता, जो उसे मिलना चाहिए। अनुवाद ही है जो हमें एक से दूसरी भाषा, साहित्य, संस्कृति से परिचित कराता है। हिन्दी अकादमी के सचिव गिरधारी साहा ने कहा कि अनूदित रचनायें तो हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं लेकिन अनुवाद का कोई अन्तरराष्ट्रीय दिवस भी मनाया जाता है, ये बहुत कम लोगों को पता है।
हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विजय कुमार भारती की अध्यक्षता और सौम्यजीत आचार्य के संचालन में हुए प्रथम सत्र में इस वर्ष की थीम-आवश्यक है अनुवाद कला का संरक्षण, पर चर्चा की गई। इसमें तृष्णा बसाक, नवनीता सेनगुप्ता, रेशमी पांडा मुखर्जी, तन्मय बीर तथा चंद्रशेखर भट्टाचार्य शामिल थे ।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में लिपिका साहा द्वारा बांग्ला से हिंदी में अनूदित दो पुस्तकों-समकालीन बांग्ला स्त्री कविता और वाणी बसु की चुनिंदा कहानियां का विमोचन हुआ। तीसरा सत्र अनुवाद कविताओं को समर्पित था, जिसमें फटिक चौधरी, सुधांशु रंजन साहा,सूक्ति राय, संहिता बंदोपाध्याय, पूर्वा दास, जीवन सिंह तथा सुपर्णा बोस शामिल थे।
कार्यक्रम के अन्त में हिंदी अकादमी के प्रशासनिक अधिकारी उत्पल पाल ने सभी को स्मृति चिह्न भेंट करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / संतोष मधुप