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केंद्र सरकार के प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 का शुरू हुआ विरोध

 

धर्मशाला, 22 फ़रवरी (हि.स.)। केंद्र सरकार के प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 का विरोध धर्मशाला में भी शुरू हो गया है। शनिवार को द कांगड़ा बार एसोसिएशन धर्मशाला के अधिवक्ताओं ने इस बिल के विरोध में कामकाज का बहिष्कार किया। साथ ही एसोसिएशन ने बिल के विरोध में 25 फरवरी से सड़कों पर उतरने का भी ऐलान कर दिया है।

कांगड़ा बार एसोसिएशन धर्मशाला के अध्यक्ष एडवोकेट तरुण शर्मा ने बाद में पत्रकार वार्ता में कहा कि केंद्र सरकार ने एडवोकेट एक्ट 1961 में संशोधन का नया कानून लाने की तैयारी कर रही है। जिसका ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है। इस यदि ये बिल कानून बन जाता है तो न केवल अधिवक्ता, बल्कि आम जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने बिल में प्रस्तावित संशोधन धारा 4 के तहत बार काउंसिल में तीन सदस्य केंद्र सरकार के नामिक होंगे यानी कि इस संशोधन के बाद बार काउंसिल में सरकार का सीधे दखल हो जाएगा। वहीं, प्रस्तावित संशोधन धारा 35 ए में अब कोई अधिवक्ता हड़ताल नहीं कर सकेगा न ही किसी न्यायालय का बहिष्कार कर सकेगा। प्रस्तावित संशोधन धारा 26 ए में यदि वह ऐसा करता है तो उसे राज्य की एडवोकेट रोल लिस्ट से हटा दिया जाएगा। प्रस्तावित संशोधन धारा 9 में अधिवक्ता के व्यवहार की जांच करने के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी। कमेटी के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट का पूर्व जज या उनके द्वारा नामित व्यक्ति होगा, कमेटी के दो सदस्य किसी भी हाईकोर्ट के पूर्व जज, एक सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता और एक सदस्य बार काउंसिल से होगा यानी अधिवक्ताओं के व्यवहार की जांच अब सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पूर्व जजों द्वारा की जाएगी।

तरुण शर्मा ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन धारा 24 ए व 24 बी यदि किसी अधिवक्ता को किसी अपराध में तीन या उससे ज्यादा की सजा हो जाती है तब उसे राज्य की एडवोकेट लिस्ट से हटा दिया जाएगा। प्रस्तावित संशोधन धारा 49 ए(1) में अब केंद्र सरकार विदेशी ला फर्म को भारत में वकालत का कार्य करने के लिए अनुमति देने के लिए नियम बना सकेगी। वहीं, प्रस्तावित संशोधन धारा 49 ए में केंद्र सरकार किसी प्रावधान, नियम या आदेश लागू करने के लिए बार काउंसिल को दिशा-निर्देश दे सकेगी।

प्रस्तावित कानून का विरोध जरूरी

उन्होंने कहा कि इसके अलावा और भी ऐसे प्रावधान हैं, जो अधिवक्ताओं के हित को सीधे प्रभावित कर रहे हैं। इसलिए इस प्रस्तावित कानून का विरोध किया जाना जरूरी है और इसीलिए एसोसिएशन विरोध में उतरने के साथ कामकाज का बहिष्कार कर दिया है। 25 फरवरी से अधिवक्ता पूर्ण रूप से विरोध करेंगे और सडक़ों पर उतरेंगे। आवश्यकता पड़ी तो जेलों में जाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि नए कानून के बनने से जब विदेशी लाल फर्म आ जाएंगी, तो यहां के स्थानीय वकील बंधुआ मजदूर बनकर रह जाएंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया