काशी तमिल संगमम: राष्ट्रीय स्वास्थ्य में सिद्ध प्रणाली की बढ़ती भूमिका पर मंथन
—ऋृषि अगस्त्य पर आधारित संगोष्ठी में आयुर्वेद विशेषज्ञों और वैद्यों ने कोविड-19 काल में इसकी बढ़ती स्वीकृति को बताया
वाराणसी,22 फरवरी (हि.स.)। काशी तमिल संगमम के तीसरे संस्करण में शनिवार को आयुर्वेद संकाय, आईएमएस बीएचयू में ऋृषि अगस्त्य पर आधारित राष्ट्रीय संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वास्थ्य में सिद्ध प्रणाली की बढ़ती भूमिका पर मंथन किया गया। शिक्षा मंत्रालय एवं उत्तर प्रदेश सरकार के पहल पर आयोजित संगोष्ठी का उद्घाटन निदेशक, आईएमएस बीएचयू प्रो.एस. एन. शंखवार ने किया।
गोष्ठी में डीन, आयुर्वेद संकाय प्रो. पी. के. गोस्वामी ने अगस्त्य मुनि के राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली को बताया। प्रो.गोस्वामी ने मुनि अगस्त्य की स्वास्थ्य और समृद्धि के संदर्भ में महत्वपूर्ण शिक्षाओं को भी बताया। चेन्नई के राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान से डॉ. के. वेनिला, डॉ. गायत्री आर., और डॉ. बी. अनबरशन ने भी आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं में सिद्ध चिकित्सा पद्धति की महत्वपूर्ण भूमिका को बताया। इसी क्रम में आयुष मंत्रालय केंद्रीय सिद्ध परिषद, नई दिल्ली के डॉ. ए. राजेंद्र कुमार ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। प्रो. के.एच.एच.वी. मूर्ति (आयोजन अध्यक्ष) और प्रो. ओ.पी. सिंह (आयोजन सचिव) ने सिद्ध चिकित्सा प्रणाली के राष्ट्रीय महत्व और कोविड-19 के बाद की परिस्थितियों में इसकी बढ़ती स्वीकृति को बताया। गोष्ठी में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अनुराग पांडेय ने दिया। गोष्ठी में वैद्य सुशील दुबे,प्रो. सी.एस. पांडेय, प्रो. रानी सिंह, प्रो. के.एन. सिंह, प्रो. बी. राम, और प्रो. वंदना वर्मा ने भी भागीदारी की।
—नमोघाट पर बीएचयू के गौरवपूर्ण विरासत, वैज्ञानिक उपलब्धियों की प्रदर्शनी
काशी तमिल संगमम के तीसरे संस्करण में शनिवार को नमोघाट पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय की गौरवपूर्ण विरासत, वैज्ञानिक उपलब्धियों तथा ज्ञान परंपरा की प्रदर्शनी लोगों में आकर्षण का केन्द्र रही। काशी और कांची की महान संस्कृतियों और सभ्यताओं के उत्सव में बीएचयू चिकित्सा विज्ञान संस्थान के अंतर्गत आयुर्वेदिक फार्मेसी ने औषधियों की प्रदर्शनियां लगाई। द्रव्यगुण विभाग ने आयुर्वेदिक औषधि निर्माण में उपयोग होने वाले औषधीय पौधों को प्रदर्शित किया। क्रिया शरीर विभाग ने प्रकृति और नाड़ी परीक्षा का प्रदर्शन किया। पूरे प्रदर्शनी में मुख्य आकर्षण हाइड्रोजन स्टोव और हाइड्रोजन से चलने वाली मोटरसाइकिल रही। जिसे भौतिकी विभाग, विज्ञान संस्थान ने विकसित किया है।
कृषि विज्ञान संस्थान ने अपने अनुसंधान नवाचारों और बीएचयू हाइब्रिड बीजों का प्रदर्शन किया। दंत चिकित्सा संकाय ने दंत चिकित्सा समाधानों में दांतों की सड़न के लिए पुनर्निर्माण,माइक्रो सर्जिकल प्रक्रियाएं और पीरियडोंटल रोगों के लिए स्केलिंग और रूट प्लानिंग को दर्शाया।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी