मुरादाबाद के प्राचीन सिद्धपीठ 84 घंटा मंदिर पर चढ़ती हैं लाखों कांवड़
- महाशिवरात्रि और सावन मास के प्रत्येक सोमवार पर कांवड़ियों का भक्तों की लगी रहती है लंबी लाइन
मुरादाबाद, 25 फरवरी (हि.स.)। जनपद में किसरौल स्थित प्राचीन सिद्धपीठ चौरासी घंटा मंदिर में महाशिवरात्रि और सावन मास के प्रत्येक सोमवार काे हजारों कांवड़ चढ़ती है। इसके अलावा भक्त भी काफी संख्या में यहां जलाभिषेक करते हैं। वर्ष 1911 में यहां तत्कालीन नेपाल नरेश आए थे और उन्होंने मंदिर में अष्ट धातु का घंटा चढ़ाया था। 114 साल बाद भी यह घंटा मंदिर में टंगा है। वर्तमान में मंदिर परिसर में सैकड़ों घंटे टंगे हुए हैं।
महानगर के थाना नागफनी क्षेत्र के किसरौल में स्थित 84 घंटा मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। चौरासी घंटा मंदिर शिवलिंग स्वयं भू है। यह अपने आप उदित हुआ है। चौरासी लाख योनियों की पौराणिक मान्यता पर ही मंदिर का नाम चौरासी घंटा पड़ा। सरकारी आंकड़ों में यह मंदिर पांच हजार साल पुराना दर्ज है।
लखनऊ की पुरातत्व विभाग की टीम ने इस मंदिर में लगे पीपल के पेड़ की छाल से जांच करके पता लगाया था कि यह पेड़ पांच हजार साल से अधिक पुराना है। एक किलोमीटर के दायरे में मंदिर में लगे पीपल की जड़े पहुंच चुकी हैं, जिसकी जड़ में दीपक जलाने से लोगों की मुरादें पूरी होती हैं। दूसरी ओर मंदिर में घंटा चढ़ाने की मान्यता भी है।
चौरासी घंटा मंदिर के मुख्य पुरोहित पंडित विष्णु दत्त ने बताया कि मंदिर में शिवलिंग के दर्शन करने के लिए वर्ष 1911 में तत्कालीन नेपाल नरेश आए थे और उन्होंने मंदिर में अष्ट धातु का घंटा चढ़ाया था। 114 साल बाद भी यह घंटा मंदिर में टंगा है। दूसरे घंटों से अलग इसका रंग ही देखकर पता चलता है कि यह पीतल का नहीं किसी अन्य धातु का है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इस घंटे को जरूर बजाते हैं। मंदिर के भवन के पुराने स्वरूप में आज भी कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
महाशिवरात्रि पर 84 घंटा मंदिर में लगभग 50 हजार से अधिक कांवड़िये अपनी कांवड़ चढ़ाकर अपना संकल्प पूरा करतें हैं। सावन मास के प्रत्येक सोमवार पर हजारों कांवड़ चढ़ती है व अंतिम सोमवार पर करीब एक लाख से अधिक कांवड़ चढ़ाई जाती है। कांवड़ बेड़ों की भीड़ को देखते हुए महाशिवरात्रि और सावन मास के प्रत्येक सोमवार पर रात्रि तीन बजे मंदिर के कपाट खोल दिये जाते हैं। कपाट खुलते ही कांवड़ चढ़ाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। इसी तरह महाशिवरात्रि और सावन मास के प्रत्येक सोमवार पर महानगर के कोने-कोने से भक्त भी यहां काफी संख्या में जलाभिषेक करने आते हैं। सावन के प्रत्येक सोमवार व महाशिवरात्रि पर मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की व्यवस्था रहती है।
हिन्दुस्थान समाचार / निमित कुमार जायसवाल