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महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती पर सत्य के लिए दौड़ में उमड़ा शहर

 


उदयपुर, 23 फ़रवरी (हि.स.)। उदयपुर की फतेहसागर झील की सुरम्य पाल पर रविवार प्रातःकाल एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला, जब महर्षि दयानंद सरस्वती की द्विशताब्दी के उपलक्ष्य में ‘रन फॉर ट्रूथ’ का आयोजन किया गया। श्रीमद दयानंद सत्यार्थ प्रकाश न्यास द्वारा आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में शहरवासियों ने उत्साहपूर्वक भाग लेकर महर्षि द्वारा प्रतिपादित सत्य की शक्ति को जीवन में अपनाने का संकल्प लिया। आयोजन का उद्देश्य महर्षि दयानंद के सत्य के प्रति अडिग निष्ठा और उनके सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाना था।

फतेहसागर की पाल पर प्रातःकाल का समय, वातावरण में ताजगी और प्रतिभागियों के चेहरे पर उत्साह देखने लायक था। उनके मन में महर्षि दयानंद सरस्वती के पदचिह्नों पर चलकर संसार को आर्य अर्थात श्रेष्ठ मानव बनाने का संकल्प था। महर्षि दयानंद सत्य के प्रति समर्पित थे और उन्होंने कभी भी सत्य से समझौता नहीं किया। इसी भावना को जागृत करने के उद्देश्य से इस दौड़ का आयोजन किया गया और इसे 'सत्य के लिए दौड़' नाम दिया गया।

कार्यक्रम का आरंभ प्रातः 7:00 बजे प्रतिभागियों को टी-शर्ट वितरित कर हुआ। इसके पश्चात सभी आयु वर्ग के प्रतिभागियों ने योग शिक्षक भारत श्रीमाली के मार्गदर्शन में दौड़ के लिए उपयोगी सूक्ष्म व्यायाम और योगाभ्यास कर स्वयं को तैयार किया।

दौड़ का शुभारंभ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं अरावली अस्पताल के निदेशक डॉ. आनंद गुप्ता ने ओम् ध्वज फहराकर किया। फतेहसागर की फिश एक्वेरियम से काली फाटक तक और पुनः लौटने के लक्ष्य के साथ दौड़ प्रारंभ हुई। इस दौरान प्रतिभागी ‘महर्षि दयानंद सरस्वती की जय’ और ‘भारत माता की जय’ के जयघोष करते रहे।

दौड़ के आरंभ के साथ ही कार्यक्रम स्थल पर वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य यज्ञ का आयोजन हुआ। न्यास के पुरोहित नवनीत आर्य के पौरोहित्य में और संयुक्त मंत्री डॉ. अमृतलाल तापड़िया के मार्गदर्शन में यज्ञ की शुरुआत हुई। यज्ञ के मुख्य यजमान श्रीमद दयानंद सत्यार्थ प्रकाश न्यास के अध्यक्ष अशोक आर्य और आभा आर्य रहे। यज्ञ से उत्पन्न सुगंधित वातावरण से आकर्षित होकर फतेहसागर की पाल पर उपस्थित आमजन ने भी श्रद्धापूर्वक गायत्री महामंत्र और महामृत्युंजय मंत्र के साथ आहुतियां अर्पित कीं।

न्यास अध्यक्ष अशोक आर्य ने बताया कि गुलाब बाग स्थित नवलखा महल में महर्षि दयानंद सरस्वती ने महाराणा सज्जन सिंह के आमंत्रण पर छह माह रहकर अपने अमर ग्रंथ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ का प्रणयन किया था। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जब महाराणा ने पार्थिव पूजा के विषय पर मौन रहने पर मेवाड़ के आध्यात्मिक आसन पर शासन का प्रस्ताव दिया था, तो महर्षि ने यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि वे राज्य छोड़ सकते हैं, लेकिन ईश्वर के सत्य से समझौता नहीं कर सकते।

दौड़ को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले सभी प्रतिभागियों को मुख्य अतिथि डॉ. आनंद गुप्ता द्वारा मैडल पहना कर सम्मानित किया गया। डॉ. गुप्ता ने कहा कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हमें अपनी दिनचर्या में दौड़ को शामिल करना चाहिए।

इस आयोजन में नवलखा महल सांस्कृतिक केंद्र की युवा शाखा संयोजक ऋचा पीयूष के साथ जयेश पीयूष, चिरायु पीयूष, आदर्श गर्ग, कपिल सोनी, भाग्यश्री शर्मा, उषा चौहान, हेमेंद्र चौहान, मनीष शर्मा, हेमंत प्रजापत, डॉ. प्रशांत अग्रवाल, डॉ. प्रिया अग्रवाल, सुकृत मेहरा, संध्या मेहरा, शीतल गुप्ता, भंवर लाल गर्ग, दुर्गा गोरमात, करिश्मा शर्मा, सिद्धम आर्य, लोकेश, देवीलाल, दिव्येश सुथार सहित अनेक सदस्यों ने सक्रिय भूमिका निभाई।

इस अवसर पर न्यास मंत्री भवानी दास आर्य, शारदा गुप्ता, ललिता मेहरा, डॉ. एस.के. माहेश्वरी, आर्य समाज हिरण मगरी के भंवरलाल आर्य, वेद मित्र आर्य, रमेश चंद्र जायसवाल, कृष्ण कुमार सोनी, इन्द्र प्रकाश यादव, भूपेंद्र शर्मा, दयानंद कन्या विद्यालय की निदेशक पुष्पा सिंधी एवं अध्यापिकाएं, छात्राएं, आर्य समाज पिछोली के प्रकाश श्रीमाली, विभिन्न आर्य समाजों के प्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का समापन प्रसाद वितरण के साथ हुआ। सभी ने महर्षि दयानंद सरस्वती के सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता