भारतीय मूल्यों पर आधारित व्यवस्था भारत को सुरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण : अम्बरीष
-भारत में सांस्कृतिक परिवर्तन पर शंख द्वारा संवाद कार्यक्रम आयोजित
प्रयागराज, 30 नवम्बर (हि.स.)। हिन्दू धर्म केवल एक पूजा पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक समग्र प्रणाली है। इसे समझने के लिए गहन अध्ययन और उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता है। वर्तमान में युवाओं और समाज के अन्य वर्गों के बीच हिन्दू धर्म के मूलभूत सिद्धांतों को सरल और वैज्ञानिक रूप में प्रस्तुत करना जरूरी है। यह भारतीय मूल्यों पर आधारित व्यवस्था भारत को सुरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
उक्त विचार शंख संस्था के माध्यम से सिविल लाइंस स्थित वात्सल्य सभागार में “सांस्कृतिक परिवर्तनः भारतीयता पर प्रश्न“ विषय पर गोष्ठी एवं संवाद कार्यक्रम में विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मंत्री अम्बरीष ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में भारतीयता के मूल प्रश्न पर सार्थक चर्चा-परिचर्चा की गई और अंत में प्रश्नोत्तरी सत्र के माध्यम से कुछ प्रश्नों को लिया गया।
विहिप के केंद्रीय मंत्री ने कहा कि धर्म की गहरी समझ और आत्म अनुभूति ही हमें जातिवाद, भेदभाव और रूढ़िवादी सोच से ऊपर उठने में मदद कर सकती है। समाज को जागरूक करने के लिए धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन, संस्कृत के प्रचार-प्रसार और मंदिरों के माध्यम से सांस्कृतिक और शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। साथ ही भारतीय संस्कृति के मूल्यों को वैश्विक स्तर पर फैलाने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिए। यदि हिन्दू धर्म को उसकी पूर्णता में समझा और अपनाया जाए, तो यह न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में शांति और सद्भाव का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
कार्यक्रम में सह वक्ता के रूप में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो सुनील कुमार शर्मा ने कहा कि आज भारतीय संस्कृति में हो रही विकृतियों को समझने की आवश्यकता है। भारतीय संस्कृति की विशिष्टता किसी से छुपी नहीं है। परंतु यह दुःख की बात है कि हम भारतीय ही इसे भूलते जा रहे हैं और पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण करते आ रहे हैं। आज यह विषय जो यहां उठाया गया है उसके परिप्रेक्ष्य में यह अत्यंत प्रासंगिक है और भारतीय मूल्यों के संरक्षण और संवर्धन हेतु हमें विशेष जोर देने की आवश्यकता है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सहायक प्राचार्य डॉ मृत्युंजय राव परमार ने कहा कि भारतीय संस्कृति केवल भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व को राह दिखाने वाली है। व्यक्ति, समाज, संस्कृति और संस्था में सम्बंध होता है जिसे संजोकर रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम की संयोजिका डॉ कीर्तिका अग्रवाल ने सभी को शुभकामनाएं प्रेषित की और विषय को संक्षेप में सभी के समक्ष रखा और बेहतर भारतीय समाज जो भारतीय मूल्यों पर आधारित हो उसे स्थापित करने की बात कही।
कार्यक्रम का संचालन विश्वास नारायण तिवारी ने एवं शंख संस्थान के अध्यक्ष आलोक परमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में शंख संस्था के अध्यक्ष आलोक परमार, संयोजक नीलेश नारायण एवं सदस्य के रूप में राघवेंद्र सिंह, नेहा दुबे और अभिनव मिश्र, अंबुज और प्रशांत भी कार्यक्रम में मौजूद रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र