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बस्तर संभाग में 26 फरवरी महाशिवरात्रि पर लगेगा शिवभक्तों का मेला

 


जगदलपुर, 24 फ़रवरी (हि.स.)। बस्तर संभाग में सैकडों वर्षों तक शैव उपासक नागवंशीय राजाओं का साम्राज्य रहा इसलिए बस्तर में शिव परिवार संदर्भित मूर्तियां सबसे अधिक है। यहां पुरातत्व और पौराणिक दर्जनाें शिवालयों में महाशिवरात्रि पर मेला लगता है। बस्तर में मानव निर्मित छग. का सबसे बड़ा शिवलिंग और दुनिया का सबसे छोटा प्राकृतिक शिवलिंग बस्तर में ही है। बस्तर संभाग के हर दिशा में शिव विराजित हैं, यहां शिवधामों में 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के लिए स्थानीय समितियों ने मेला की पूरी तैयारी कर ली है। बस्तर जिले के झाड़ेश्वर महादेव देवड़ा, चित्रकोट, छिंदगांव, चपका, गुप्तेश्वर, कोटमसर गुफा, गुमलवाड़ा और चिंगीतरई में महाशिवरात्रि पर मेला लगेगा।

देवड़ा में तीन दिनों का मेला लगता है, यहां अखंड जाप के साथ भोलेनाथ का महाअभिषेक किया जाएगा। दंतेवाड़ा में मावली माता मंदिर परिसर में एक हजार वर्ष पुराना दक्षिणमुखी शिवलिंग है। बारसुर का शिंव मंदिर, समलूर का शिंव मंदिर, अबूझमाड़ का तुलारा गुफा, गुमरगुंडा का शिंव मंदिर, चित्रकोट का प्राचीन शिवालय, इसके अतिरिक्त बस्तर के हर ग्राम में शिवमंदिर अवश्य ही मिलेगा। बस्तर तो भगवान शिव की भूमि है, यहां के हर कण में भगवान शिव है। आदिवासियों के लिंगोदेव भगवान शिव का ही रूप हैं। केशकाल को शिव की नगरी भी कहा जाता है, यहां बस्तर का एकमात्र जोड़ा शिवलिंग है। इसके अलावे जगदलपुर के रियासत कालीन शिवालयों में महादेव घाट शिव मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर में स्थित शिव मंदिर, बालाजी मंदिर में स्थित शिव मंदिर, के साथ ही सीताराम शिवालय व अन्य शिवालयों में भी शिव भक्तों का तांता लगा रहेगा।

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित कोटमसर गुफा में कई प्राकृतिक शिवलिंग हैं। वन विभाग जनरेटर लगाकर गुफा में प्रकाश की व्यवस्था करता रहा है। लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए महाशिवरात्रि के दिन कोटमसर गुफा में प्रवेश नि:शुल्क रहता है। माचकोट वन परिक्षेत्र अंतर्गत गुमलवाड़ा की गुफा महादेव के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा है। बस्तर जिले के झाड़ेश्वर महादेव देवड़ा, चित्रकोट, छिंदगांव, चपका, गुप्तेश्वर, कोटमसर गुफा, गुमलवाड़ा और चिंगीतरई में मेले की तैयारी में ग्राम बिलोरी, कावापाल और गुमलवाड़ा के लोग जुटे हैं। चित्रकोट जलप्रपात से 500 मीटर दूर जलहरी युक्त शिवलिंग है। पुरातत्व विभाग के अनुसार शिवलिंग 11 वीं शताब्दी का है, जिसे छिंदक नागवंशीय राजाओं ने बनवाया था। शिवलिंग आठ फीट लंबा, सात फीट चौड़ा और करीब पांच फीट ऊंचा है, इस शिव मंदिर में चार दिनों का मेला लगता है।

छग-ओडिशा की सीमा पर देवड़ा जंगल में झाडेश्वर महादेव मंदिर महादेव की पूजा अर्चना तो होगी ही साथ ही मनौती पूर्ण होने पर यहां नंदी, हाथी, घोड़े के मिट्टी की प्रतिमाएं भी अर्पित की जाती है। यहां के मेले की तैयारी दोनों राज्य के भक्त करते हैं। सोनारपाल से दो किमी दूर प्राकृतिक जलकुंडों वाले चपका आने वाले भक्त अब भी शिवलिंग को बाहों में भरकर महाकाल से दीर्घायु होने की कामना करते हैं। चित्रकोट मार्ग के बड़ाजी से आठ किमी दूर इन्द्रावती नदी किनारे एक हजार साल पुराना छिंदगांव का शिवालय है। यहां के मेले में नदी के दोनों किनारे पर बसे करीब 20 गांवों के लोग शामिल होते हैं, दो दिनों से यहां मेला लगा हुआ है। कटेकल्याण मार्ग से 15 किमी दूर गुमड़पाल में 12 वीं शताब्दी का पुराना शिवमंदिर है।

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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे