बंगाल विधानसभा ने केंद्र के नए आपराधिक कानूनों की समीक्षा के लिए प्रस्ताव पारित किया
कोलकाता, 01 अगस्त (हि.स.)। पश्चिम बंगाल विधानसभा ने बुधवार को केंद्र द्वारा पारित तीन नए आपराधिक कानूनों -भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए), और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की समीक्षा के लिए एक प्रस्ताव पारित किया। इन कानूनों को 'कठोर कानून' कहते हुए तृणमूल कांग्रेस ने यह प्रस्ताव लाया।
बंगाल के कानून मंत्री मलय घटक ने गुरुवार को चर्चा के दौरान कहा कि इन तीन आपराधिक कानूनों के खिलाफ कई सवाल उठ रहे हैं। हम इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि यह बिना हितधारकों और कानून आयोग से परामर्श किए पारित किया गया।
घटक ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र को तीन पत्र लिखकर हितधारकों और कानून आयोग से परामर्श करने के लिए कहा था, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया। संसद में यह कानून 20 दिसंबर को विपक्षी सांसदों को निलंबित रखते हुए पारित किया गया था। राज्य सरकार ने इन तीन कानूनों की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया है।
एक जुलाई से लागू हुए ये तीन नए आपराधिक कानून भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), और साक्ष्य अधिनियम की जगह ले चुके हैं।
इस प्रस्ताव को वित्त राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) चंद्रिमा भट्टाचार्य, तृणमूल के सदस्य निर्मल घोष और अशोक कुमार देब ने भी प्रस्तुत किया। इसे पार्टी के विधायकों अपूर्व सरकार, मोहम्मद अली और पन्नालाल हलदर ने समर्थन दिया।
भाजपा के सदस्यों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि प्रस्ताव लाने से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, यह कानूनों को नहीं रोक सकता। मैं सुझाव दूंगा कि राज्य विधानसभा में अवैध प्रवास, लव जिहाद और एनआरसी के खिलाफ कानून लाया जाए। हम इस पर मतदान में भाग लेंगे।
गुरुवार को इस प्रस्ताव को ध्वनि मत से पारित किया गया।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर / गंगा