निजी अस्पताल में इलाज के दौरान महिला की मौत, विरोध में सड़क जाम
खूंटी, 11 जनवरी (हि.स.)। शहर के केएस गंगा नामक निजी अस्पताल में शनिवार सुबह दुर्घटना में घायल हुई बेलांगी गांव की रीना देवी नामक महिला की इलाज के दौरान मौत होने पर परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा मचाया।
अस्पताल में हंगामा मचाने के बाद स्वजन अन्य ग्रामीणों के साथ अस्पताल के सामने खूंटी-रांची रोड को जामकर सड़क पर बैठ गए और प्रदर्शन करने लगे। सड़क जाम की सूचना मिलते ही खूंटी की अनुमंडल पदाधिकारी दीपेश कुमारी, एसडीपीओ वरूण रजक, अंचल अधिकारी थाना प्रभारी सहित अन्य पुलिस पदाधिकारी और जवान मौके पर पहुंचे और स्वजनों को समझा बुझाकर सड़क जाम को समाप्त कराने के प्रयास में जुट गए। प्रदर्शनकारी अस्पताल पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए अस्पताल पर कार्रवाई करने और जिम्मेदार डॉक्टर को गिरफ्तार करने, मृतका के अनाथ हुए दो बच्चों को जीवन यापन के लिए सरकारी नौकरी देने सहित अन्य मांग कर रहे थे। प्रशासन द्वारा उनकी मांगों पर समुचित कार्रवाई का आश्वासन देकर दोपहर लगभग 1.30 बजे से की गई सड़क जाम को तीन घंटे बाद साढे चार बजे समाप्त कराया गया।
दो दिन पूर्व गुरुवार शाम तजना नदी पुल से आगे दो बाइक के बीच हुई टक्कर में महिला के पति एलआईसी अभिकर्ता दिनेश महतो की मौत हो गई थी जबकि बाइक में सवार रीना देवी गंभीर रूप से घायल हो गई थी। रीना देवी के सिर पर गंभीर चोट लगी थी। रीना देवी को सदर अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद रिम्स रांची रेफर कर दिया गया था। लेकिन परिजन उसे इलाज के लिए खूंटी के उक्त निजी अस्पताल में ले गए थे। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल के डॉक्टर ने महिला का बेहतर इलाज करने का आश्वासन देकर महिला को अस्पताल में भर्ती कर लिया और इलाज से पूर्व 20 हजार रुपये जमा कराये गये। दूसरे दिन स्वजनों को महिला की स्थिति में तेजी से सुधार होने की बात कहते हुए अस्पताल प्रबंधन के जरिये फिर 22 हजार रुपये जमा कराये गये। स्वजनों का आरोप है कि शुक्रवार देर शाम जब महिला के शरीर पर कोई हलचल नहीं नजर आई,तो अस्पताल के चिकित्सक से पूछताछ की गई और महिला को बेहतर इलाज के लिए अन्यत्र कहीं ले जाने का अनुरोध किया गया, तो डॉक्टर ने महिला की हालत सही बताते हुए उसे अन्यत्र कहीं ले जाने की बात को टाल दिया।
शनिवार सुबह पांच बजे से परिजन फिर महिला को रिम्स ले जाने के लिए अनुरोध करने लगे लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा स्वजनों के इस अनुरोध को टालते हुए 50 हजार रुपये जमा करने की बात कही गई। अंततः 10 बजे महिला की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में आयुष्मान कार्ड को स्वीकार नहीं किया गया और परिजनों से कुल 42600 रुपये जमा कर लिया गया।
स्वजनों के आरोपों की जांच के लिए अनुमंडल पदाधिकारी दीपेश कुमारी ने तत्काल एक टीम का गठन कर अस्पताल पर लगाए गए आरोपों की जांच करने का आदेश जारी कर दिया। जांच के लिए गठित टीम में सिविल सर्जन डॉ नागेश्वर मांझी, खूंटी एसडीपीओ वरूण रजक, अंचल अधिकारी सहित अन्य चिकित्सक शामिल हैं। एसडीओ ने स्वजनों को आश्वस्त किया है कि जांच में अगर अस्पताल और अस्पताल के चिकित्सक पर लगाए जा रहे आरोप सही पाए गए, तो अस्पताल और चिकित्सक के विरुद्ध कानून के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी। एसडीओ ने मृतक के आश्रितों को मुआवजा और नौकरी की मांग पर अपने स्तर से समुचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।
वहीं दूसरी ओर महिला के इलाज पर लापरवाही बरतने के आरोप को अस्पताल के चिकित्सक डॉ अंजीव नयन ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि महिला की स्थिति काफी गंभीर थी। उसके ब्रेन पर गंभीर चोट थी। दुर्घटना के बाद से ही महिला कोमा में थी। अस्पताल में महिला की जान बचाने की भरसक कोशिश की गई। चिकित्सक ने अस्पताल से महिला को अन्यत्र रेफर न करने के आरोप को भी झूठा बताते हुए कहा कि उन्होंने स्वयं उसके परिजनों से कई एक बार महिला को अन्यत्र ले जाने की बात कही, लेकिन परिजनों ने अस्पताल पर भरोसा जताते हुए यहीं इलाज कराने की बात कही।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल मिश्रा