जल और पर्यावरणीय संकट का समाधान पारंपरिक भारतीय ज्ञान में निहित — राजेन्द्र सिंह
उदयपुर, 25 फ़रवरी (हि.स.)। पर्यावरणविद् और मैगसेसे पुरस्कार विजेता डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि जल और पर्यावरणीय संकट का समाधान पारंपरिक भारतीय ज्ञान में निहित है।
वे मंगलवार को यहां तरुण भारत संघ के स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय, तरुण भारत संघ और कीवा के संयुक्त तत्वावधान में शुरू हुए दो दिवसीय विश्व जल सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
सम्मेलन में बीज वक्ता के रूप में उन्होंने आधुनिक शिक्षा को भारतीय विद्या से जोड़ने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि युवाओं को परंपरागत ज्ञान और उसकी वैज्ञानिकता से परिचित करवाना होगा, जिससे वे जल संरक्षण और पर्यावरण संवर्धन में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
इस सम्मेलन में 19 देशों के 100 से अधिक पर्यावरणविद्, शोधकर्ता और विशेषज्ञ जल, पर्यावरण, जैव विविधता तथा भारतीय ज्ञान परंपरा के आधार पर वैश्विक समस्याओं के समाधान पर मंथन कर रहे हैं।
विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने पंचमहाभूतों के संतुलन पर बल देते हुए कहा कि भारतीय जीवनशैली में पर्यावरण संतुलन का गहरा निहितार्थ है। हमें परंपरागत ज्ञान आधारित नवाचारों को अपनाना होगा।
अनंत राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, अहमदाबाद के कुलपति प्रो. अनुनय चौबे ने कहा कि शहरीकरण और विकास की होड़ में पर्यावरणीय संवेदनशीलता की अनदेखी हो रही है। उन्होंने युवाओं को कक्षा से बाहर लाकर समुदाय से जोड़ने और पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने पर जोर दिया।
सम्मेलन में जर्मन दूतावास की प्रतिनिधि डॉ. गीतांजली ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए हर व्यक्ति को अपने स्तर पर प्रयास करने होंगे। वहीं, सिंघानिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पृथ्वी यादव ने इंदौर और उदयपुर में सामुदायिक सहयोग से हुए पर्यावरणीय सुधारों के उदाहरण प्रस्तुत किए।
मेक्सिको से आए हेलमुट केंजलमेन ने छात्रों को सामुदायिक सहयोग के कौशल से लैस करने पर जोर दिया ताकि वे पर्यावरण संरक्षण में प्रभावी भूमिका निभा सकें। अमेरिका के हेरीबेरिटो वेलिसेनियर ने पारंपरिक ज्ञान और संवाद को पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक बताया।
संयोजक डॉ. युवराज सिंह राठौड़ ने बताया कि इस सम्मेलन में अफ्रीका, अमेरिका, यूरोप, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के 19 देशों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। इनमें वे देश प्रमुख रूप से शामिल हैं, जहां हाल के वर्षों में बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाएं आई हैं। भारत के विभिन्न राज्यों से भी सौ से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।
इस अवसर पर डॉ. राजेंद्र सिंह की पुस्तक पानी पंचायत का विमोचन किया गया, जिसमें तरुण भारत संघ द्वारा पिछले 50 वर्षों में जल और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में किए गए कार्यों का उल्लेख है।
कार्यक्रम में विद्यापीठ के रजिस्ट्रार डॉ. तरुण श्रीमाली, प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. अनिल मेहता, प्रो. गजेन्द्र माथुर सहित अनेक पर्यावरणविद् और गणमान्यजन उपस्थित रहे। संचालन डॉ. चन्द्रेश छतलानी और डॉ. हरीश चौबीसा ने किया, जबकि आभार डॉ. युवराज सिंह राठौड़ ने व्यक्त किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता