असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का बयान: 'मियां' समुदाय की एकजुटता पर जोर
मुख्यमंत्री का बयान
नई दिल्ली: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में कहा कि राज्य में 'मियां' समुदाय की राजनीतिक ताकत इसलिए बढ़ रही है क्योंकि उनका वोट एकजुट रहता है। उन्होंने बताया कि इसके विपरीत, उनके समुदाय के वोट विभिन्न पार्टियों में बंटे हुए हैं, जिससे राजनीतिक संतुलन प्रभावित हो रहा है। सरमा ने सभी समर्थकों से अपील की कि वे एकजुट होकर किसी एक पार्टी या उम्मीदवार को वोट दें।
अवैध बसावट पर चिंता
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अवैध बसने वालों पर लगातार दबाव बनाए रखना आवश्यक है ताकि वे निचले असम के जिलों में न फैल सकें। उनका मानना है कि यदि इस विस्तार को नहीं रोका गया, तो जनसांख्यिकीय बदलाव तेजी से बढ़ सकता है।
'मियां' शब्द का विवाद
'मियां' शब्द असम में बंगाली भाषी मुसलमानों के लिए एक अपमानजनक संबोधन माना जाता है। गैर-बंगाली भाषी लोग अक्सर इन्हें बांग्लादेश से आए प्रवासी मानते हैं। हालाँकि, हाल के वर्षों में इस समुदाय के कई कार्यकर्ताओं ने इस शब्द को अपनाकर अपनी पहचान के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है, ताकि नकारात्मक छवि को चुनौती दी जा सके।
सरमा के बयान इस संदर्भ में और भी संवेदनशील हो जाते हैं, क्योंकि निचले असम में बंगाली भाषी मुस्लिम आबादी का बढ़ता अनुपात पहले से ही एक राजनीतिक मुद्दा बन चुका है।
निचले असम में जनसंख्या
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि निचला असम अब बंगाली भाषी मुस्लिम बहुल क्षेत्रों की वास्तविकता है, और इसे वापस नहीं लिया जा सकता। उन्होंने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह आबादी आगे और न बढ़े, जिसके लिए दबाव बनाए रखना आवश्यक है। यह बयान असम में अवैध बसावट, भूमि कब्जे और जनसंख्या परिवर्तन को लेकर चल रही बहस को फिर से केंद्र में लाता है।
कांग्रेस पर आरोप
सरमा ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि पार्टी ने 60 वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद उन लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं किया, जिन्होंने लगातार उसे वोट दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि जंगलों और सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण होते रहे, लेकिन कांग्रेस सरकार ने लोगों को वैध भूमि पट्टे नहीं दिए।
सरमा के अनुसार, यदि पहले उचित भूमि अधिकार दिए जाते, तो आज बड़े पैमाने पर बेदखली की आवश्यकता नहीं होती। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने वोटरों का इस्तेमाल तो किया, लेकिन उनकी भलाई के लिए ठोस कदम नहीं उठाए।
अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी
अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि बीजेपी को सहयोगी दलों के साथ तालमेल बनाना होगा। पार्टी असम गण परिषद (AGP), यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (UPPL) और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी।
सरमा ने कहा कि नए समीकरणों और रणनीतियों की आवश्यकता होगी और जल्द ही गठबंधन दलों के साथ विस्तृत बातचीत शुरू होगी। उनके अनुसार, कुछ चुनौतियाँ जरूर होंगी लेकिन पार्टी इनका समाधान निकालने के लिए एक साझा रोडमैप तैयार करेगी।