×

इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: ऑनलाइन सट्टेबाजी पर बनेगी नई समिति

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश देते हुए एक नई समिति बनाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि पुराने कानून अब अप्रभावी हो चुके हैं और डिजिटल युग में नए नियमों की आवश्यकता है। समिति का गठन आर्थिक सलाहकार केवी राजू की अध्यक्षता में किया जाएगा, जिसमें तकनीकी और कानूनी विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। कोर्ट ने ऑनलाइन गेमिंग के मनोवैज्ञानिक प्रभाव और वित्तीय धोखाधड़ी के खतरे पर भी चिंता जताई। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ।
 

कोर्ट का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग के संबंध में महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। न्यायालय ने कहा कि डिजिटल युग में पुराने कानून अब अप्रभावी हो चुके हैं, इसलिए यह आवश्यक है कि यह जांच की जाए कि क्या ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग को विनियमित करने की आवश्यकता है। जस्टिस विनोद दिवाकर की पीठ ने इस विषय पर एक उच्चस्तरीय समिति बनाने का आदेश दिया है।


समिति का गठन

कोर्ट ने निर्देश दिया है कि यह समिति राज्य सरकार के आर्थिक सलाहकार केवी राजू की अध्यक्षता में बनाई जाए। समिति में प्रमुख सचिव (राज्य कर) को सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा, साथ ही अन्य तकनीकी, कानूनी और साइबर विशेषज्ञों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। समिति को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह अध्ययन कर यह अनुशंसा करे कि ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग को किस प्रकार नियंत्रित किया जा सकता है।


1867 का कानून अब अप्रासंगिक

कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत में जुए से संबंधित कानून 'पब्लिक गैंबलिंग एक्ट, 1867' अभी भी लागू है, जो ब्रिटिश काल का है। यह कानून उस समय के लिए बनाया गया था जब केवल भौतिक स्थानों पर ताश के पत्तों जैसे खेल खेले जाते थे। अदालत ने कहा कि यह कानून न तो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को कवर करता है और न ही यह आज के डिजिटल लेन-देन और अंतरराष्ट्रीय सर्वर के दौर में प्रभावी है।


डिजिटल लत और मनोवैज्ञानिक शोषण

हाईकोर्ट ने कहा कि वर्तमान समय में ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स मनोवैज्ञानिक रूप से उपयोगकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए रिवार्ड सिस्टम, नॉन-स्टॉप नोटिफिकेशन और इन-गेम प्रलोभनों का उपयोग करते हैं। इससे खासकर युवा वर्ग में इसकी लत लगने की गंभीर आशंका होती है।


विदेशी सर्वर से संचालन और वित्तीय धोखाधड़ी का खतरा

कोर्ट ने यह भी चिंता जताई कि अधिकांश ऑनलाइन बेटिंग प्लेटफॉर्म भारत के बाहर से संचालित होते हैं और इनके पेमेंट चैनल भी विदेश में होते हैं, जिससे ट्रैकिंग और कानून प्रवर्तन में बड़ी दिक्कत आती है। इससे वित्तीय धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।


केस की पृष्ठभूमि

कोर्ट ने यह आदेश इमरान खान और एक अन्य आरोपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिन पर आरोप है कि वे घर से ऑनलाइन सट्टेबाजी का रैकेट चला रहे थे और करोड़ों की कमाई कर रहे थे।