×

उत्तरकाशी में बादल फटने से तबाही: राहत कार्य जारी

उत्तरकाशी के धराली गांव में 5 अगस्त को बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई है। इस त्रासदी में चार लोगों की मौत हो गई है और 50 से अधिक लोग लापता हैं। राहत कार्य में NDRF, SDRF और सेना की टीमें जुटी हुई हैं। इस घटना ने विज्ञान की सीमाओं को भी उजागर किया है, क्योंकि बादल फटने जैसी घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी करना मुश्किल है। जानें इस घटना के पीछे के कारण और जलवायु परिवर्तन की भूमिका के बारे में।
 

उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना

उत्तरकाशी में बादल फटने की त्रासदी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में 5 अगस्त को बादल फटने की एक गंभीर घटना ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। केवल 34 सेकंड में आई इस विनाशकारी बाढ़ ने कई घरों को बहा दिया, जिसमें चार लोगों की मौत और 50 से अधिक लोग लापता होने की सूचना है। राहत कार्य में NDRF, SDRF, सेना और ITBP की टीमें सक्रिय हैं।


धराली गांव, जो गंगोत्री धाम के निकट एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, मंगलवार को दोपहर 1:55 बजे अचानक बादल फटने से प्रभावित हुआ। खीर गंगा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा और मलबे के साथ बहते पानी ने पूरी मार्केट और कई घरों को अपने साथ बहा लिया।


वीडियो में दिखी भयावहता

वीडियो भयावह


एक वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि तेज बहाव ने घरों को माचिस की तीलियों की तरह बहा दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और गृह मंत्री अमित शाह ने इस त्रासदी पर गहरा दुख व्यक्त किया और राहत कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए।


क्लाउडबर्स्ट का अलर्ट क्यों नहीं?

विज्ञान की हार: क्यों नहीं मिल पाता क्लाउडबर्स्ट का अलर्ट?


भूकंप, तूफान और सुनामी जैसी बड़ी आपदाओं की भविष्यवाणी करने में सक्षम विज्ञान बादल फटने जैसी स्थानीय घटनाओं की सटीक चेतावनी देने में असमर्थ क्यों है?


क्लाउडबर्स्ट की विशेषताएँ

छोटे क्षेत्र, कम समय


क्लाउडबर्स्ट आमतौर पर 20–30 वर्ग किमी के क्षेत्र में होती है, और कुछ मिनटों में 100 मिमी से अधिक बारिश होती है। इतनी कम अवधि और सीमित क्षेत्र के लिए सटीक रडार सिस्टम की आवश्यकता होती है।


भौगोलिक चुनौतियाँ

जटिल स्थलाकृति


हिमालयी क्षेत्र की भौगोलिक संरचना और तेजी से बदलती स्थानीय जलवायु भविष्यवाणी को बेहद कठिन बना देती है।


तकनीकी संसाधनों की कमी

तकनीकी संसाधनों की कमी


भारत में घने डॉपलर रडार नेटवर्क और उच्च-रिजॉल्यूशन सैटेलाइट सिस्टम की कमी है। मौजूदा रडार केवल भारी बारिश की चेतावनी दे सकते हैं, न कि सटीक स्थान और समय की जानकारी।


जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

जलवायु परिवर्तन की भूमिका


विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बादल फटने की घटनाएं डेढ़ गुना बढ़ गई हैं। नमी से भरे बादल हिमालय में अटक रहे हैं, जिससे बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। धराली जैसी आपदाएं यह दर्शाती हैं कि केवल चेतावनी नहीं, बल्कि नीति स्तर पर गंभीर बदलाव की आवश्यकता है।